क्या सीओपी 15 ने वैश्विक आर्द्रभूमि संरक्षण पर ऐतिहासिक सहमति बनाई?

सारांश
Key Takeaways
- आर्द्रभूमियों का संरक्षण वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण है।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग से जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव डालने की क्षमता बढ़ेगी।
- प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिए प्रस्ताव को अपनाया गया है।
- आधुनिक तकनीकों और पारंपरिक ज्ञान का समन्वय आवश्यक है।
- इस सम्मेलन ने वैश्विक सहमति को सुदृढ़ किया है।
बीजिंग, १ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। जिम्बाब्वे के विक्टोरिया फॉल्स शहर में, रामसर सम्मेलन का १५वां सत्र (सीओपी १५) सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस सम्मेलन में शामिल सभी देशों ने वैश्विक आर्द्रभूमि के संरक्षण और प्रबंधन को सुदृढ़ करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया। सम्मेलन का प्रमुख परिणाम 'विक्टोरिया फॉल्स घोषणापत्र' रहा, जिसमें आर्द्रभूमि के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए आवश्यक संसाधनों और राजनीतिक प्रतिबद्धता को बढ़ाने का आह्वान किया गया है।
चीन समेत कई देशों द्वारा संयुक्त रूप से पेश किए गए दो महत्वपूर्ण प्रस्तावों को सर्वसम्मति से अपनाया गया। इन प्रस्तावों में प्रवासी पक्षियों के उड़ान मार्गों और उनके आवासों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्रवाई को मजबूत करने का उल्लेख है। साथ ही, आर्द्रभूमि के संरक्षण, प्रबंधन और उपयोग के लिए आधुनिक तकनीकों और पारंपरिक ज्ञान का बेहतर समन्वय भी सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है।
यह सम्मेलन २४ से ३१ जुलाई तक आयोजित किया गया, जिसका मुख्य विषय "आर्द्रभूमियों का संरक्षण, साझा भविष्य का निर्माण" था। इस बैठक का उद्देश्य पारिस्थितिक संतुलन, जैव विविधता को बनाए रखने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में आर्द्रभूमियों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना था। इस दौरान, चीनी प्रतिनिधिमंडल ने अपने देश के पारिस्थितिक संरक्षण की सफलताओं को दर्शाने वाली एक प्रदर्शनी भी आयोजित की, जिसमें लगभग ३,००० लोगों ने रुचि दिखाई।
(साभार – चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)