क्या दिल्ली में धमाका इंटेलिजेंस फेलियर का नतीजा है? सांसद अनिल देसाई
सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली में हुए विस्फोट ने सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं।
- सांसद अनिल देसाई ने इसे इंटेलिजेंस का बड़ा फेलियर बताया।
- अभिनेता धर्मेंद्र के स्वास्थ्य पर चिंता व्यक्त की गई।
- महाराष्ट्र के नेताओं ने इस घटना पर अपनी राय रखी।
- विस्फोट के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा देने की आवश्यकता है।
मुंबई, 11 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अनिल देसाई ने दिल्ली में हुए विस्फोट, दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र की अस्पताल में भर्ती होने, महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की बैठक और एमवीए-एमएनएस गठबंधन पर चर्चा की।
दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार विस्फोट पर अनिल देसाई ने कहा कि सोमवार को दिल्ली में एक अत्यंत गंभीर घटना हुई है, और इस मामले की जांच एजेंसियों द्वारा की जा रही है। न केवल दिल्ली में बल्कि पूरे देश में इसके प्रभाव और नुकसान को ध्यान में रखते हुए गृह मंत्रालय और संबंधित राज्य सरकारों द्वारा हर संभव उपाय किए जा रहे हैं। मुंबई समेत महाराष्ट्र में भी हाई अलर्ट जारी किया गया है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में ऐसी घटना होना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। यह इंटेलिजेंस का बड़ा फेलियर है। यदि दिल्ली में ऐसा हो सकता है, तो अन्य स्थानों की स्थिति क्या होगी? दिल्ली की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। गृह मंत्रालय दिल्ली की कानून-व्यवस्था को संभालता है। चूंकि यह धमाका दिल्ली में हुआ है, इसलिए इसकी गंभीरता और भी बढ़ जाती है।
अभिनेता धर्मेंद्र के स्वास्थ्य पर अनिल देसाई ने कहा कि वह एक लीजेंड एक्टर हैं। उन्होंने देशवासियों के दिलों में एक खास स्थान बनाया है। जिस तरह से राजकपूर, देव आनंद और दिलीप साहब ने अपनी पहचान बनाई, उसी तरह धर्मेंद्र भी लोगों के दिलों पर राज करते हैं। हम उनके स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
वहीं, महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ने कहा कि उनकी राय में एनडीए विफल है। यदि दिल्ली में विस्फोट हो सकता है, जहां राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री रहते हैं, तो यह एक बड़ी विफलता है।
दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए विस्फोट पर अबू आजमी ने कहा कि यह दुखद है कि ऐसी घटना दिल्ली के दिल में हुई। हम मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं। विस्फोट के लिए जिम्मेदार लोगों की जांच होनी चाहिए और उन्हें छह महीने के भीतर मौत की सजा दी जानी चाहिए।