दिल्ली में 'वीविंग इंडिया टुगेदर' कॉन्क्लेव का आयोजन, कलाकारों ने पीएम मोदी को क्यों धन्यवाद दिया?

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दिल्ली में 'वीविंग इंडिया टुगेदर' कॉन्क्लेव का आयोजन, कलाकारों ने पीएम मोदी को क्यों धन्यवाद दिया?

सारांश

दिल्ली में 'वीविंग इंडिया टुगेदर' कॉन्क्लेव का आयोजन हुआ, जहां कलाकारों ने प्रधानमंत्री मोदी को उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्राकृतिक रेशों और स्थानीय कारीगरों की कला को बढ़ावा देना था, विशेषकर उत्तर पूर्व के क्षेत्रों में।

Key Takeaways

  • प्राकृतिक रेशों का उपयोग कर कारीगरों की कला को बढ़ावा देना।
  • उत्तर पूर्व के कारीगरों की अनूठी पहचान को उजागर करना।
  • प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विकास के अवसरों का लाभ उठाना।
  • स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर पारंपरिक तकनीकों को संरक्षित करना।
  • भारत की सांस्कृतिक विविधता को नई पहचान देना।

नई दिल्ली, ८ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली के भारत रत्न सी सुब्रमण्यम ऑडिटोरियम, एनएएससी परिसर में नेशनल कॉन्क्लेव 'वीविंग इंडिया टुगेदर: प्राकृतिक रेशे, नवाचार और उत्तर पूर्व व उससे आगे की आजीविका' का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक रेशों के उपयोग, स्थानीय कारीगरों की कला और नवाचारों को बढ़ावा देना है, विशेष रूप से उत्तर पूर्व के क्षेत्रों में।

इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उत्तर पूर्व के विभिन्न राज्यों से आए हमारे भाई-बहन यहां उपस्थित हैं। वे विभिन्न प्रकार के बुनाई कार्यों में संलग्न हैं, जिनमें कमल के फूल के तंतु, अनानास के रेशे और अन्य स्थानीय घास के रेशे शामिल हैं। ये सभी स्थानीय संसाधनों से जुड़े हुए हैं और उनकी कारीगरी एक अनूठी पहचान रखती है।

कार्यक्रम में ओडिशा की हैंडलूम कारीगर अनुश्यमता ने अपने काम के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उनका हाथ से किया गया काम परंपरागत और प्राकृतिक रंगों से रंगाई की प्रक्रिया पर आधारित है। इसी तरह, ओडिशा की एक अन्य कारीगर रुक्मदी ने बताया कि उनका काम 'कटपद' नामक प्राकृतिक रंगाई तकनीक से जुड़ा है। वे पेड़ की छाल, इमली के बीज, गौमूत्र और पौधों के अर्क से रंग निकालते हैं। फिर इन रंगों का उपयोग करके पारंपरिक तरीके से पानी में रंग घोलकर सूती कपड़े को हाथ से बुनाई करते हैं। यह पूरी प्रक्रिया पूरी तरह से हाथ से होती है।

मणिपुर की कारीगर गुरुमेम जीतेश्वरी देवी ने उत्तर पूर्व में विकास की बात करते हुए राष्ट्र प्रेस से कहा, "पहले हमारे समाज के केवल कुछ लोग ही दिल्ली आते थे और ज्यादातर लोग उपलब्ध अवसरों से अनजान थे। लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हर महिला और नागरिक को यह जानकारी मिल रही है कि ये अवसर सभी के लिए हैं और इनका लाभ हर कोई उठा सकता है।"

मणिपुर की एक अन्य कारीगर तोंगब्राम बिजियाशंती ने बताया कि वे अपने राज्य में प्रचुर मात्रा में मिलने वाले कमल के फूल के तंतु से कपड़े बनाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने २०२१ में 'मन की बात' कार्यक्रम में उनके काम का उल्लेख किया था, जिससे उनका मनोबल बढ़ा था।

लद्दाख की कारीगर डॉ. जिगमित ने कहा, "जब हम पीएम मोदी के वैश्विक नेतृत्व की बात करते हैं, तो वह डिजिटल इंडिया के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण प्रयास कर रहे हैं। जी20 सम्मेलन में पश्मीना शॉल को प्रमोट करना उनकी प्रतिबद्धता का उदाहरण है। इसके अलावा कृषि सहित कई अन्य क्षेत्रों में भी विकास कार्य हो रहे हैं।"

इस संगोष्ठी के माध्यम से भारत के विविध प्राकृतिक रेशों और हाथ की कारीगरी को नई पहचान मिली है, जो देश की संस्कृति और आजीविका दोनों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रही है।

Point of View

जो भारत की सांस्कृतिक विविधता और कारीगरी को एक नया रूप दे रही है। यह न केवल उत्तर पूर्व के कारीगरों के लिए एक मंच है, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी है। हमें इस तरह के प्रयासों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है जो हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हैं।
NationPress
08/10/2025

Frequently Asked Questions

इस कॉन्क्लेव का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस कॉन्क्लेव का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक रेशों के इस्तेमाल, स्थानीय कारीगरों की कला और नवाचारों को बढ़ावा देना है।
कौन से कारीगर इस कार्यक्रम में शामिल हुए?
कार्यक्रम में ओडिशा, मणिपुर और लद्दाख के विभिन्न कारीगर शामिल हुए।
पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम के बारे में क्या कहा?
पीएम मोदी ने प्राकृतिक रेशों और स्थानीय कारीगरों के योगदान की सराहना की और इस प्रकार के प्रयासों को बढ़ावा देने का आश्वासन दिया।