क्या इटावा कथावाचक विवाद पर देवकीनंदन ठाकुर का बयान उचित है?

सारांश
Key Takeaways
- दुर्व्यवहार करना गलत है।
- जातिवाद से बचना चाहिए।
- धर्म का सम्मान करना हमारा दायित्व है।
- कथा कोई भी कर सकता है।
- समाज में शांति बनाए रखना आवश्यक है।
मथुरा, 27 जून (राष्ट्र प्रेस)। इटावा में हाल ही में हुई घटना पर कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने अपनी प्रतिक्रियामुकुट मणि यादव और संत कुमार यादव के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार हुआ। इस घटना के बाद राजनीति पर देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि किसी के साथ भी दुर्व्यवहार करना गलत है। हम खुद यह प्रचार करते हैं कि कलावाचोटी रखें, और तिलक लगाएं।
उन्होंने कहा कि किसी भी सनातनी की चोटी काटना और उसका अपमान करना, अत्यंत निंदनीय है और यह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। उन्होंने अपील की कि हमें जातियों में नहीं बंटना चाहिए। देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि वह जातिगत मुद्दों में नहीं बंधना चाहते, बल्कि सभी सनातनों को जोड़ना चाहते हैं।
देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, "मैं देख रहा हूं कि एक गांव में एक घटना घटी और इस पर कुछ बड़े नेता बयान दे रहे हैं। कई नेता केवल जाति के नाम पर कूद पड़े हैं। यह वही काम है जो अंग्रेजों ने किया था।"
कथावाचक देवकीनंदन ने आगे कहा, "सनातन में, पुराणों में जितने भी अवतार हुए, वे धर्म की स्थापना के लिए हुए। धर्म की स्थापना करना ही हमारा दायित्व है। हमें इस देश में धर्म का सम्मान करना चाहिए।"
क्या ब्राह्मण के अलावा कोई अन्य जाति का व्यक्ति कथा कर सकता है? इस पर देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि कोई भी व्यक्ति कथा कर सकता है। कथा प्रवचन कोई भी कहीं भी कर सकता है, इसमें कोई बुराई नहीं है। उन्होंने कहा, "हमने रसखान को स्वीकार किया है। रसखान के पद हम गाते हैं। इसमें जाति के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए।"
इटावा के घटनाक्रम पर देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, "वहां जो भी घटनाएं हुई हैं, उसके लिए कानून है। प्रशासन इसका काम करे और जो दोषी है उसे सजा दे। लेकिन बड़े पदों पर बैठे लोगों को जातिवाद फैलाकर समाज को नहीं लड़ाना चाहिए।"