क्या धर्मांतरण कानून पर मुख्यमंत्री विष्णु देव को जानकारी का अभाव है?

सारांश
Key Takeaways
- धर्मांतरण कानून पर नया ड्राफ्ट तैयार हो रहा है।
- पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आरोप है कि भाजपा को जानकारी का अभाव है।
- 2006 में पहले से एक कानून पारित हो चुका है।
- कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार की आवश्यकता है।
- भाजपा सरकार ने विभिन्न धार्मिक समुदायों के खिलाफ कार्यवाही की है।
रायपुर, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने बताया कि राज्य की भाजपा सरकार धर्मांतरण को रोकने के लिए एक नया कानून लाने की योजना बना रही है, जिसका ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है और इसे अगले विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा।
इस पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री साय को इस विषय पर सही जानकारी नहीं है।
सोमवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि 2006 में तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने धर्मांतरण पर कानून बनाने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया था, जिसे पारित किया गया। यह बिल राजभवन और राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा, लेकिन इसकी वर्तमान स्थिति के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। साय सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।
बघेल ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब 2006 में पहले ही इस मुद्दे पर कानून बनाने का प्रस्ताव पारित हो चुका है, तो साय सरकार नए कानून की बात क्यों कर रही है?
उन्होंने यह भी कहा कि यदि बिल पारित हो गया है, तो सरकार को उसे लागू करना चाहिए और मुख्यमंत्री को इसकी जानकारी होनी चाहिए। लेकिन वे नया कानून बनाने की बात कर रहे हैं। उनकी गलती नहीं है, उन्हें जो पर्ची दी जाती है, वही बोल जाते हैं।
बघेल का तर्क है कि साय सरकार को पहले 2006 के कानून की स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, जबकि सरकार मौजूदा कानून को और सख्त करने या नया कानून लाने की दिशा में काम कर रही है।
पूर्व सीएम ने कानून व्यवस्था पर कहा कि छत्तीसगढ़ में ‘कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है’ और बिना जांच के गिरफ्तारियां हो रही हैं। यदि किसी के खिलाफ कोई शिकायत है, तो जांच होनी चाहिए और उसके आधार पर कार्रवाई की जानी चाहिए। लेकिन, तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाता है।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ईसाई, मुस्लिम और सिख समुदायों को निशाना बना रही है और बहुसंख्यकों का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने रायपुर की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एसपी और थानेदार बदल दिए जाएंगे, लेकिन आईजी के खिलाफ कोई भी कुछ नहीं कह सकता है।