क्या धेनुपुरीश्वरर मंदिर में शिव की पूजा करने से कपिल मुनि हुए थे शाप मुक्त?

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क्या धेनुपुरीश्वरर मंदिर में शिव की पूजा करने से कपिल मुनि हुए थे शाप मुक्त?

सारांश

धेनुपुरीश्वरर मंदिर, जो एक हजार साल से अधिक पुराना है, धार्मिक श्रद्धा और पुरातात्विक महत्व का संगम है। यहाँ भगवान शिव की पूजा से मोक्ष की प्राप्ति का विश्वास है। जानिए इस मंदिर के रहस्यमयी इतिहास और कपिल मुनि की पौराणिक कथा के बारे में।

Key Takeaways

  • धेनुपुरीश्वरर मंदिर का धार्मिक और पुरातात्विक महत्व है।
  • कपिल मुनि की पौराणिक कथा इस मंदिर से जुड़ी है।
  • मंदिर में मौजूद शिवलिंग पर गाय के खुर का निशान है।
  • मंदिर की वास्तुकला चोल साम्राज्य की नक्काशी दर्शाती है।
  • यह स्थान मोक्ष की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

नई दिल्ली, 11 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सनातन धर्म और हमारे शास्त्रों में हमेशा मनुष्य जीवन को मोक्ष से जोड़ा गया है। मोक्ष प्राप्ति के लिए दान, पूजा-पाठ और अनुष्ठान करने के लिए कहा जाता है। चेन्नई शहर के पास एक ऐसा मंदिर है, जहां दुखों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। यह मंदिर सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि भारतीय पुरातत्व के लिए भी विशेष है।

चेन्नई के मदंबक्कम और तांबरम के पास स्थित प्राचीन धेनुपुरीश्वरर मंदिर, जिसे एक हजार साल से भी अधिक पुराना माना जाता है, भगवान शिव को समर्पित है। यहां भगवान शिव को मोक्ष के देवता के रूप में पूजा जाता है। मंदिर के गर्भगृह में 6 इंच का शिवलिंग विराजमान है, जिसे धेनुपुरीश्वर कहा जाता है। यहाँ भगवान शिव मां पार्वती के एक अन्य रूप 'धेनुकंबल' के साथ विराजमान हैं। भक्तों का मानना है कि यहां आकर धेनुपुरीश्वर और 'धेनुकंबल' की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, महान ऋषि कपिल मुनि भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। उन्होंने बाएं हाथ से भगवान की आराधना की थी, जिसके फलस्वरूप उन्हें अगले जन्म में गाय का जन्म लेने का श्राप मिला। गाय होते हुए भी कपिल मुनि ने निरंतर भगवान शिव की आराधना की और मिट्टी में दबे शिवलिंग की पूजा की। एक बार एक ग्वाले ने गाय को दूध अर्पित करने के लिए दंडित किया और उसके खुर से निकलने वाला रक्त शिवलिंग पर अर्पित हो गया। गाय की पीड़ा कम करने के लिए भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए और कपिल मुनि को श्राप से मुक्त किया। इसी कारण इस मंदिर का नाम धेनुपुरीश्वरर पड़ा। यहां 'धेनु' का मतलब गाय से है।

मंदिर में मौजूद छोटे से शिवलिंग पर आज भी गाय के खुर का निशान है और इसे स्वयं प्रभु माना जाता है। शिवलिंग के पास एक गड्डा भी है। मंदिर में भगवान विष्णु भी विराजमान हैं, लेकिन वे मुख्य गर्भगृह के पीछे स्थित हैं।

मंदिर की वास्तुकला देखने लायक है, क्योंकि इसके हर खंभे पर चोल राजा सुंदर चोल के समय की नक्काशी है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर भगवान गणेश और कार्तिकेय की प्रतिमाएं हैं, जो हाथों में बाण लिए खड़े हैं। इसके अलावा, यहां एक नक्काशी भी है जिसमें ब्रह्मा, विष्णु, सूर्य और भगवान गणेश की प्रतिमा एक साथ विराजमान है। इस नक्काशी को वहां के लोग शक्ति का प्रतीक मानते हैं।

एक खंभे पर कपिल मुनि को अपनी बाईं भुजा में शिवलिंग और दाईं भुजा में माला धारण करते हुए दिखाया गया है। धेनुपुरीश्वरर मंदिर के पास ही 18 सिद्धों का मंदिर है और थोड़ी ही दूरी पर शुद्धानंद आश्रम और इनकॉन फाउंडेशन भी देखे जा सकते हैं।

Point of View

बल्कि भारतीय इतिहास और संस्कृति में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह हमें बताता है कि कैसे पुरातन मान्यताएँ आज भी समाज के विभिन्न पहलुओं को जोड़ती हैं।
NationPress
11/11/2025

Frequently Asked Questions

धेनुपुरीश्वरर मंदिर कहाँ स्थित है?
धेनुपुरीश्वरर मंदिर चेन्नई के मदंबक्कम और तांबरम के पास स्थित है।
कपिल मुनि को किस श्राप का सामना करना पड़ा?
कपिल मुनि को भगवान शिव की आराधना के कारण गाय का जन्म लेने का श्राप मिला।
इस मंदिर का मुख्य देवता कौन है?
इस मंदिर में मुख्य देवता भगवान शिव हैं।
क्या यहाँ कोई विशेष नक्काशी है?
हाँ, मंदिर की वास्तुकला में चोल राजा के समय की नक्काशी शामिल है, जो देखने लायक है।