क्या डीआरडीओ ने उद्योगों को रक्षा निर्माण से जुड़ी तीन महत्वपूर्ण तकनीक हस्तांतरित की?

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क्या डीआरडीओ ने उद्योगों को रक्षा निर्माण से जुड़ी तीन महत्वपूर्ण तकनीक हस्तांतरित की?

सारांश

डीआरडीओ ने उद्योगों को तीन महत्वपूर्ण रक्षा तकनीक हस्तांतरित की हैं। यह कदम न केवल आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा, बल्कि उन्नत सामग्रियों के उत्पादन में भी मदद करेगा। जानें इन तकनीकों के बारे में और कैसे ये हमारी सैन्य क्षमता को मजबूत करेंगी।

Key Takeaways

  • डीआरडीओ ने उद्योगों को तकनीक हस्तांतरित की है।
  • नवीनतम सामग्रियों की मदद से सुरक्षा में सुधार होगा।
  • यह पहल आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती है।
  • उद्योगों में तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • डीएमआरएल की विशेषज्ञता का उपयोग किया जाएगा।

नई दिल्ली, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की हैदराबाद स्थित डिफेंस मेटालर्जिकल रिसर्च लेबोरेटरी (डीएमआरएल) ने विभिन्न सैन्य उपकरणों से संबंधित तीन उन्नत सामग्रियों की तकनीक उद्योग भागीदारों को हस्तांतरित की है। इन तकनीकों के माध्यम से मिसाइल सेंसरों की सुरक्षा के लिए कवर का उत्पादन, नौसैनिक जहाजों के निर्माण सामग्री और अन्य कार्यों में तेजी आएगी।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, हैदराबाद स्थित डीएमआरएल में आयोजित एक कार्यक्रम में रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव एवं डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने उद्योग भागीदारों को लाइसेंसिंग एग्रीमेंट फॉर ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी दस्तावेज सौंपे।

विशेषज्ञों का कहना है कि उद्योग भागीदारों को इन तकनीकों का हस्तांतरण होने से सेनाओं के लिए हथियार और अन्य उपकरण उपलब्ध कराने में सहायता मिलेगी। हाई स्ट्रेंथ रैडोम्स के निर्माण की तकनीक बीएचईएल, जगदीशपुर को हस्तांतरित की गई है। यह तकनीक उच्च गुणवत्ता वाले रैडोम्स (मिसाइल सेंसरों की सुरक्षा हेतु कवर) के उत्पादन को सक्षम बनाएगी।

रक्षा मंत्रालय का मानना है कि इससे प्रमुख रक्षा कार्यक्रमों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा। डीएमआर-1700 स्टील शीट्स एवं प्लेट्स के निर्माण के लिए जेएसपीएल, अंगुल को तकनीक दी गई है। यह स्टील अल्ट्रा हाई स्ट्रेंथ एवं रूम टेम्परेचर पर उच्च फ्रैक्चर टफनेस का अनूठा संयोजन प्रदान करती है और विभिन्न रक्षा अनुप्रयोगों में उपयोगी होगी। डीएमआर 249ए एचएसएलए स्टील प्लेट्स के निर्माण की तकनीक भिलाई स्टील प्लांट (सेल) को प्रदान की गई है। यह नौसैनिक जहाजों के निर्माण के लिए सख्त आयामिक, भौतिक एवं धातुकर्मीय मानकों को पूरा करने वाली मजबूत एवं विश्वसनीय सामग्री है।

इस अवसर पर डीआरडीओ अध्यक्ष ने अनुसंधान एवं विकास की प्रक्रियाओं तथा सफल तकनीक हस्तांतरण के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने डीएमआरएल की उद्योग-अनुसंधान साझेदारी को बढ़ावा देने और तकनीकी नवाचारों को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता को सराहा।

उन्होंने कहा कि यह निर्णय भविष्य में रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा। यह स्वदेशी सामग्रियों की तकनीक में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह विविध अनुप्रयोगों में उपयोगी है, जो डीएमआरएल की बहु-विषयक विशेषज्ञता और उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता को दर्शाती है।

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि सहयोगी पारिस्थितिकी तंत्र को और सुदृढ़ करने के लिए, डीएमआरएल और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो के बीच एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के तहत डीएमआरएल अपनी विशेषज्ञता, सुविधाओं और क्षमताओं का उपयोग ब्यूरो की गतिविधियों में सहयोग के लिए करेगा।

Point of View

यह देखना महत्वपूर्ण है कि डीआरडीओ की यह पहल हमारे देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में बहुत सहायक साबित होगी। नई तकनीकें उद्योगों को सुसज्जित करेंगी और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत कदम होंगी।
NationPress
04/09/2025

Frequently Asked Questions

डीआरडीओ ने कौन सी तकनीकें हस्तांतरित की हैं?
डीआरडीओ ने तीन उन्नत सामग्रियों की तकनीकें, जिनमें हाई स्ट्रेंथ रैडोम्स, डीएमआर-1700 स्टील शीट्स, और एचएसएलए स्टील प्लेट्स शामिल हैं, उद्योग भागीदारों को हस्तांतरित की हैं।
इन तकनीकों का क्या महत्व है?
इन तकनीकों से न केवल आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि सैन्य उपकरणों की गुणवत्ता और सुरक्षा में भी सुधार होगा।
डीआरडीओ की नई पहल का उद्देश्य क्या है?
इस पहल का उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना और उद्योगों में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देना है।