क्या डुमरांव में भाजपा कभी जीत पाएगी? 2020 में भाकपा-माले ने परचम लहराया

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क्या डुमरांव में भाजपा कभी जीत पाएगी? 2020 में भाकपा-माले ने परचम लहराया

सारांश

डुमरांव विधानसभा क्षेत्र में चुनावी हलचल तेज है। भाकपा-माले के अजीत कुमार सिंह ने 2020 में जदयू को हराया था। इस बार 16 उम्मीदवारों में मुकाबला दिलचस्प होगा। जानें इस क्षेत्र की ऐतिहासिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि के बारे में।

Key Takeaways

  • डुमरांव का इतिहास और संस्कृति समृद्ध है।
  • इस क्षेत्र में कई धार्मिक स्थल हैं।
  • राजनीतिक दृष्टि से डुमरांव का इतिहास महत्वपूर्ण रहा है।
  • भाकपा-माले ने 2020 में जीत हासिल की थी।
  • इस बार 16 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।

पटना, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। डुमरांव के मतदाता एक बार फिर अपने जनप्रतिनिधि का चयन करने के लिए तैयार हैं। बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से एक डुमरांव विधानसभा क्षेत्र बक्सर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यह विधानसभा क्षेत्र ऐतिहासिक, धार्मिक और राजनीतिक दृष्टि से समृद्ध रहा है।

डुमरांव विधानसभा में चौगाईं, केसठ और नवानगर सामुदायिक विकास खंड शामिल हैं। इसके अलावा चिलहरी, कुशलपुर, भोजपुर कदीम, भोजपुर जदीद, छतनवार, नुआंव, सोवां, अड़ियांव, नंदन, लखनडीहरा और डुमरांव प्रखंड की ग्राम पंचायतें भी इस क्षेत्र में आती हैं।

डुमरांव नगर की स्थापना 1709 ईस्वी में राजा होरिल सिंह ने की थी, जब उन्होंने अपनी राजधानी मथिला बक्सर से डुमरांव स्थानांतरित की थी। उस समय इस नगर को 'होरिलनगर' के नाम से भी जाना जाता था।

भौगोलिक दृष्टि से डुमरांव बक्सर जिला मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। गंगा नदी के निकटता के कारण यह क्षेत्र अत्यंत उपजाऊ है और गंगीय मैदानों की समतल भौगोलिक संरचना लिए हुए है।

डुमरांव विधानसभा क्षेत्र में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल स्थित हैं। तिरहुत बांध इस क्षेत्र का एक प्रमुख स्थल है, जो सिंचाई के साथ-साथ पिकनिक और पर्यटन के लिए भी प्रसिद्ध है। राजगढ़ स्थित बांके बिहारी मंदिर, काली जी का मंदिर और डुमरेजनी माई का मंदिर यहां के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं। लालाटोली में स्थित राज राजेश्वरी मंदिर एक प्रसिद्ध तांत्रिक स्थल है, जो नवरात्र के दौरान तंत्र साधकों का केंद्र बन जाता है। इसके अतिरिक्त, छठिया पोखरा का राजेश्वर मंदिर और राम जानकी मंदिर अपनी ऐतिहासिकता और पौराणिकता के लिए प्रसिद्ध हैं।

राजनीतिक दृष्टि से भी डुमरांव विधानसभा का इतिहास समृद्ध रहा है। इस विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी और अब तक यहां 17 बार विधायक चुने जा चुके हैं। इनमें से कांग्रेस ने सात बार जीत दर्ज की है, जबकि जनता दल, जदयू और निर्दलीय प्रत्याशियों ने दो-दो बार सफलता हासिल की। इसके अलावा भाकपा, समाजवादी पार्टी, अखिल जन विकास दल और भाकपा-माले को एक-एक बार जीत मिली।

वर्तमान में डुमरांव सीट से भाकपा-माले के अजीत कुमार सिंह विधायक हैं। उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू की प्रत्याशी अंजुम आरा को हराया था।

इस बार भी इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। कुल 16 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें प्रमुख रूप से भाकपा-माले से मौजूदा विधायक अजीत कुमार सिंह, जदयू से राहुल कुमार सिंह और जन सुराज से शिवांग विजय सिंह चुनावी मैदान में हैं।

Point of View

NationPress
27/10/2025

Frequently Asked Questions

डुमरांव विधानसभा क्षेत्र की स्थापना कब हुई?
डुमरांव विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी।
डुमरांव में प्रमुख धार्मिक स्थल कौन से हैं?
डुमरांव में बांके बिहारी मंदिर, काली जी का मंदिर और राज राजेश्वरी मंदिर जैसे प्रमुख धार्मिक स्थल हैं।
भाकपा-माले के वर्तमान विधायक कौन हैं?
डुमरांव से वर्तमान विधायक भाकपा-माले के अजीत कुमार सिंह हैं।
डुमरांव में 2020 के चुनाव में क्या हुआ था?
2020 के विधानसभा चुनाव में भाकपा-माले के अजीत कुमार सिंह ने जदयू की अंजुम आरा को हराया था।
डुमरांव विधानसभा क्षेत्र में कितने उम्मीदवार हैं?
इस बार डुमरांव विधानसभा क्षेत्र में कुल 16 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।