क्या ईडी ने बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व कर्मी को गिरफ्तार किया, जिन्होंने ग्राहकों को 16.10 करोड़ रुपए का चूना लगाया?

सारांश
Key Takeaways
- ईडी ने महत्वपूर्ण कार्रवाई की है जिससे वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में सख्ती बढ़ेगी।
- सिंगला ने 16.10 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की, जिससे बैंक की प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ।
- जांच में वरिष्ठ नागरिकों और कमजोर ग्राहकों को निशाना बनाने की बात सामने आई है।
- इस मामले ने बैंकिंग प्रणाली में विश्वास को चुनौती दी है।
- भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
मुंबई, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), मुंबई ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के अंतर्गत अहमदाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन से बैंक ऑफ इंडिया के सस्पेंड स्टाफ ऑफिसर हितेश कुमार सिंगला को गिरफ्तार किया है। उन्हें विशेष न्यायालय, पीएमएलए, ग्रेटर बॉम्बे में पेश किया गया, जहां से आरोपी को 7 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया गया है।
सीबीआई और एसीबी मुंबई ने हितेश कुमार सिंगला और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, बीएनएस की धारा 316(5) और पीसी अधिनियम, 1988 की धारा 13(2) सहपठित धारा 13(1)(ए) के तहत एफआईआर दर्ज की थी। इस एफआईआर के आधार पर ईडी ने जांच आरंभ की।
ईडी की जांच में पता चला कि मई 2023 से जुलाई 2025 के बीच सिंगला ने दुर्भावना और आपराधिक इरादे से बिना अनुमति के सावधि जमा (टीडी), लोक भविष्य निधि (पीपीएफ), वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस) खाते, बचत बैंक (एसबी) खाते और चालू खाते (सीए) को धोखाधड़ी से बंद कर दिया। प्राप्त राशि को एसबीआई में उसके निजी बचत खाते में जमा किया गया।
जांच में यह भी सामने आया कि आरोपियों ने पकड़े जाने से बचने के लिए 127 खाताधारकों, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों, नाबालिगों, मृत ग्राहकों और निष्क्रिय खातों जैसे कमजोर ग्राहकों को निशाना बनाया। डायवर्ट की गई राशि को टुकड़ों में और गुप्त तरीके से स्थानांतरित किया गया।
इस धोखाधड़ी के जरिए सिंगला ने बैंक ऑफ इंडिया और उसके ग्राहकों को 16.10 करोड़ रुपए का चूना लगाया, जिससे बैंक को नुकसान हुआ, उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची और अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करके लोगों का विश्वास कम किया।
धोखाधड़ी का पता चलने के बाद से हितेश कुमार सिंगला फरार था और बैंक ऑफ इंडिया को रिपोर्ट करने में असफल रहा। तकनीकी निगरानी द्वारा समर्थित विशेष खुफिया जानकारी पर कार्रवाई करते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी ने उज्जैन से वेरावल तक ट्रेन संख्या 19320 महामना एक्सप्रेस में यात्रा करते समय बार-बार सीटें और कोच बदलकर बचने के उसके प्रयासों के बावजूद अहमदाबाद जंक्शन पर उसे सफलतापूर्वक रोका और गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी के बाद उसके एक सहयोगी के परिसर में पीएमएलए की धारा 17 के तहत तलाशी ली गई।