क्या महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने कश्मीरियों से मुलाकात कर पर्यटन की स्थिति को बेहतर बताया?

सारांश
Key Takeaways
- कश्मीर में पर्यटन फिर से बढ़ने लगा है।
- एकनाथ शिंदे ने स्थानीय नागरिकों के साथ संवाद किया।
- घाटी में स्थिति सामान्य हो रही है।
- स्थानीय कारोबार में सुधार हो रहा है।
- सरकार जनता के साथ है।
सोनमर्ग (जम्मू-कश्मीर), 21 जून (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शनिवार को सोनमर्ग में स्थानीय कश्मीरी नागरिकों से संवाद कर घाटी की स्थिति का अवलोकन किया। डिप्टी सीएम कारगिल युद्ध की 26वीं विजय वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए कारगिल के द्रास जा रहे हैं, जहां वह सरहद शौर्यथॉन 2025 का शुभारंभ करेंगे।
श्रीनगर से द्रास की यात्रा के दौरान, उन्होंने सोनमर्ग में अपने काफिले को रोका और स्थानीय निवासियों से बातचीत की।
एकनाथ शिंदे ने कहा कि कश्मीर में हालात अब सामान्य हो रहे हैं और पर्यटक फिर से लौटने लगे हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लोगों में असुरक्षा की भावना बढ़ गई थी, लेकिन अब घाटी में माहौल फिर से शांत और सुरक्षित बनता जा रहा है। डिप्टी सीएम ने सोनमर्ग में स्थानीय दुकानदारों, घोड़ा चालकों, फल विक्रेताओं और पर्यटकों से बातचीत की।
स्थानीय निवासियों ने उन्हें बताया कि अब पर्यटक दोबारा कश्मीर की ओर रुख कर रहे हैं और व्यापार में सुधार हो रहा है। दुकानदारों ने कहा कि हालात अब पहले जैसे हो रहे हैं और लोग बेझिझक घूमने आ रहे हैं। पर्यटकों ने भी यही महसूस किया कि घाटी अब पहले की तरह सुरक्षित और आनंददायक लग रही है। इस अवसर पर, एकनाथ शिंदे ने कश्मीर की ठंडी और खूबसूरत वादियों का आनंद लेते हुए एक स्थानीय भुट्टा विक्रेता से भुट्टा खरीदा और उसका स्वाद लिया। उनका यह सहज व्यवहार स्थानीय नागरिकों द्वारा सराहा गया।
हाल ही में पहलगाम हमले के बाद ऐसी अफवाहें फैली थीं कि स्थानीय लोगों की मिलीभगत से आतंकियों ने हमला किया, जिससे घाटी की छवि धूमिल हुई थी। इस संदर्भ में शिंदे का यह संवाद दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उन्होंने आम कश्मीरियों से बातचीत करके यह संदेश दिया कि सरकार जनता के साथ है और आतंक को आम नागरिकों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।
ज्ञात रहे कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को एक आतंकी हमला हुआ था, जिसमें आतंकवादियों ने 26 निर्दोष लोगों की जान ले ली थी। उन्होंने पहले लोगों का धर्म पूछा था। इसके 15 दिन बाद, भारत सरकार और सेना ने 7 मई को पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' का आयोजन किया।