क्या पीएम मोदी जेल में बंद लोगों की मदद करते थे? भाजपा नेता दिनेश शर्मा ने आपातकाल से जुड़े खुलासे किए

सारांश
Key Takeaways
- आपातकाल की घोषणा नागरिक अधिकारों के उल्लंघन का प्रमुख कारण थी।
- नरेंद्र मोदी ने जेल में बंद लोगों की मदद की।
- इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र की हत्या की।
- चार लाख से अधिक लोग 'मीसा' के तहत गिरफ्तार हुए।
- आपातकाल के दौरान उत्पीड़न अपने चरम पर था।
नई दिल्ली, 25 जून (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने बुधवार को आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर एक दर्दनाक अतीत को पुनः जीवित किया। उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने कैसे अपनी सत्ता का दुरुपयोग करते हुए लोकतंत्र की हत्या की। इसके साथ ही, उन्होंने बताया कि आपातकाल के दौरान (वर्तमान प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी ने जेल में बंद लोगों की कैसे मदद की।
दिनेश शर्मा ने कहा कि आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर इसे 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाया जा रहा है। साथ ही, जो लोग संविधान की पुस्तक लिए हुए यह दावा कर रहे हैं कि वे संविधान और लोकतंत्र के रक्षक हैं, उन्हें आज से पांच दशक पहले की घटनाओं को याद करना चाहिए। ऐसे लोगों को संविधान या लोकतंत्र पर कुछ भी बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है।
उन्होंने बताया कि राजनारायण से चुनाव हारने के बाद इंदिरा गांधी को न्यायालय ने सभी पदों से अयोग्य कर दिया था और छह साल तक चुनाव लड़ने से रोका था। लेकिन, इंदिरा गांधी ने इस फैसले को नहीं माना और आपातकाल की घोषणा की। उन्होंने कहा कि आंतरिक अशांति की बात कही गई, जबकि सच्चाई यह थी कि चुनाव हारने के बाद उन्होंने ऐसा कदम उठाया।
राज्यसभा सांसद ने कहा कि आपातकाल के दौरान सभी शक्तियां सरकार के पास आ जाती हैं और न्यायालय सरकार के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। इंदिरा गांधी ने सभी शक्तियों को अपने हाथ में ले लिया। साथ ही, पत्रकारों, अधिवक्ताओं और न्यायिक अधिकारों को दबा दिया गया। चार लाख से अधिक लोग 'मीसा' के तहत गिरफ्तार हुए थे।
उन्होंने कहा कि आज भी लोग उस दौर को याद करते हैं और कहते हैं कि इंदिरा गांधी के शासन में जो तांडव हुआ, वह तैमूर लंग के समय से भी भयंकर था। विक्रम राव नामक एक पत्रकार को डायनामाइट मामले में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें वडोदरा की जेल में रखा गया। वहां से उन्हें कोई हवा तक नहीं मिलती थी। उन्हें बताया गया कि आरएसएस का एक स्वयंसेवक, जो कोई और नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी थे, उन्हें अखबार पहुंचाते थे।
दिनेश शर्मा ने कहा, "मेरे पिता को भी बैंक का लुटेरा बताकर गिरफ्तार किया गया था। मुझे याद है कि मुझे पुलिस ने छत से उल्टा लटका दिया था। आपातकाल के दौर में उत्पीड़न अपने चरम पर था। आज ये लोग स्वतंत्रता की बात किस मुंह से करते हैं।"