क्या आपातकाल के 50 साल में भाजपा संविधान हत्या दिवस मना रही है?

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क्या आपातकाल के 50 साल में भाजपा संविधान हत्या दिवस मना रही है?

सारांश

आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर भाजपा ‘संविधान हत्या दिवस’ मना रही है। इस अवसर पर प्रमुख नेताओं ने इमरजेंसी के प्रभावों और कांग्रेस की तानाशाही मानसिकता पर विचार व्यक्त किए। क्या हम वाकई अपनी लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा कर पाए हैं? जानें इस आलेख में।

Key Takeaways

  • आपातकाल भारत के लोकतंत्र का काला अध्याय है।
  • कांग्रेस की तानाशाही मानसिकता को उजागर किया गया।
  • मोदी सरकार ने इसे संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
  • संविधान की रक्षा के लिए संघर्ष करने वालों को श्रद्धांजलि।
  • लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा अनिवार्य है।

नई दिल्ली, 25 जून (राष्ट्र प्रेस)। देश में आपातकाल के 50 साल पूरे हो गए हैं और इसी अवसर पर भाजपा इसे ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने जा रही है। इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तक कई नेताओं ने अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने इसे भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय करार दिया।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "‘आपातकाल’ कांग्रेस की सत्ता की भूख का ‘अन्यायकाल’ था। 25 जून 1975 को लागू किए गए आपातकाल में देशवासियों ने जो पीड़ा सहन की, उसे नई पीढ़ी को समझाना जरूरी है। इसी उद्देश्य से मोदी सरकार ने इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ का नाम दिया। यह दिन दर्शाता है कि जब सत्ता तानाशाही बन जाती है, तो जनता उसे उखाड़ फेंकने की ताकत रखती है। आपातकाल कोई राष्ट्रीय आवश्यकता नहीं, बल्कि कांग्रेस और एक व्यक्ति की लोकतंत्र विरोधी मानसिकता का परिचायक था। प्रेस की स्वतंत्रता को कुचला गया, न्यायपालिका के हाथों को बांध दिया गया और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया। देशवासियों ने ‘सिंहासन खाली करो’ का शंखनाद किया और तानाशाह कांग्रेस को उखाड़ फेंका। इस संघर्ष में बलिदान देने वाले सभी वीरों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।"

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिखा, "आज से 50 साल पहले भारतीय लोकतंत्र का आपातकाल के माध्यम से गला घोंटने का कुत्सित प्रयास किया गया था। आपातकाल को लोग आज भी भारतीय लोकतंत्र के सबसे काले अध्याय के रूप में याद करते हैं। संविधान को दरकिनार करते हुए जिस तरीके से आपातकाल थोप दिया गया, वह सत्ता के दुरुपयोग और तानाशाही का बड़ा उदाहरण है। तमाम विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। इस देश में जो लोकतांत्रिक परंपराएं रही हैं, उन्हें तत्कालीन सरकार मिटा नहीं पाई। आज भारत में लोकतंत्र जीवित है, इसके लिए आपातकाल में जिन्होंने संघर्ष किया, जेल काटी और यातनाएं सहन की, उन सभी का बड़ा योगदान है। आने वाली पीढ़ियां उनका योगदान कभी नहीं भूलेंगी।"

उन्होंने आगे कहा, "प्रधानमंत्री मोदी ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने का निर्णय लिया है, ताकि हर देशवासी को याद रहे कि तानाशाही कैसे लोकतंत्र की हत्या करने का प्रयास करती है।"

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, "25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘आंतरिक अशांति’ का बहाना बनाकर भारत पर आपातकाल थोप दिया था। 50 वर्ष बाद भी कांग्रेस उसी मानसिकता से आगे बढ़ रही है; उसकी नीयत आज भी वैसी ही तानाशाही वाली है।"

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा, "50 साल पहले कांग्रेस द्वारा किए गए अत्याचारों को हमारे प्रधानमंत्री ने याद किया है। उस समय लगाया गया आपातकाल हमारे लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय है।"

भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने लिखा, "जब सत्ता डगमगाई, तो संविधान को कुचल दिया गया। अपने भविष्य के लिए, पूरे देश का वर्तमान बंधक बना लिया। लोकतंत्र की हत्या कर, अभिव्यक्ति को कैद किया और देश पर तानाशाही का अंधेरा थोप दिया। 25 जून, 1975 वो काला दिन था जब 'मैं' का अहंकार 'हम' की आजादी पर भारी पड़ा। याद रखेगा भारत।"

Point of View

यह आवश्यक है कि हम उन घटनाओं की समीक्षा करें जो हमारे लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण थीं। आपातकाल एक ऐसा समय था जब हमारे संविधान का उल्लंघन किया गया और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर किया गया। आज भी, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसा पुनः न हो।
NationPress
25/06/2025

Frequently Asked Questions

आपातकाल का मुख्य कारण क्या था?
आपातकाल का मुख्य कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा राजनीतिक संकट को नियंत्रित करना था।
आपातकाल के दौरान क्या हुआ?
आपातकाल के दौरान प्रेस की स्वतंत्रता कुचली गई, विपक्ष के नेताओं को जेल में डाल दिया गया और कई मानवाधिकार उल्लंघन हुए।
भाजपा का इस दिन को मनाने का क्या उद्देश्य है?
भाजपा का उद्देश्य इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाना है ताकि लोगों को आपातकाल के दौरान की गई गलतियों का स्मरण हो सके।
आपातकाल का भारतीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ा?
आपातकाल ने भारतीय राजनीति में लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती को चुनौती दी और सत्ता के दुरुपयोग के उदाहरण प्रस्तुत किए।
क्या आपातकाल के अनुभव ने भारतीय जनमानस को प्रभावित किया?
हां, आपातकाल के अनुभव ने भारतीय जनमानस को लोकतंत्र की रक्षा के महत्व को समझाया और भविष्य में सतर्क रहने की प्रेरणा दी।