क्या एफपीओ से जुड़ रहे लाखों लोग, दो करोड़ किसानों को जोड़ने का लक्ष्य है? : शिवराज सिंह चौहान
सारांश
Key Takeaways
- एफपीओ किसानों की सामूहिक शक्ति को दर्शाते हैं।
- 52 लाख से अधिक किसान एफपीओ से जुड़े हैं।
- सरकार ने 10,000 एफपीओ स्थापित किए हैं।
- महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दिया जाएगा।
- एफपीओ किसानों को सस्ती दरों पर संसाधन उपलब्ध कराते हैं।
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को आयोजित किसान-उत्पादक संगठन (एफपीओ) कार्यक्रम में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में छोटे और सीमांत किसानों की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाने के लिए एफपीओ एक सशक्त माध्यम बन रहे हैं।
उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने, उत्पादन बढ़ाने, लागत घटाने, मूल्य संवर्धन और उचित मूल्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 10,000 किसान-उत्पादक संगठन (एफपीओ) स्थापित किए हैं।
चौहान ने बताया कि अब तक लगभग 52 लाख किसान इन एफपीओ से जुड़ चुके हैं और देश के विभिन्न राज्यों में कई एफपीओ ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। उन्होंने कहा, “आज का यह कार्यक्रम उन एफपीओ का संगम है, जो किसानों के जीवन में वास्तविक परिवर्तन ला रहे हैं। इनमें से 1,100 एफपीओ करोड़ों रुपए के उद्यम बन चुके हैं और कुछ का कारोबार 100 करोड़ रुपए से भी अधिक तक पहुंच गया है।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एफपीओ सामूहिक शक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। ये संगठन खाद, बीज और कृषि उपकरण जैसी सामग्री थोक में खरीदते हैं और अपने सदस्यों को सस्ती दरों पर उपलब्ध कराते हैं, जिससे किसानों की उत्पादन लागत में कमी आती है। इसके अलावा, एफपीओ किसानों के उत्पादों को एकत्रित कर बाजार में बेचते हैं, जिससे उन्हें बेहतर मूल्य और अधिक लाभ प्राप्त होता है।
शिवराज सिंह चौहान ने आगे बताया कि कई एफपीओ प्रोसेसिंग (प्रसंस्करण) के क्षेत्र में भी कदम बढ़ा चुके हैं और अपने उत्पादों को मूल्यवर्धित रूप में बाजार तक पहुंचा रहे हैं। इनमें से कई संगठन प्राकृतिक और ऑर्गेनिक उत्पादों का उत्पादन कर रहे हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा का संचार हुआ है।
उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल एफपीओ की स्थापना तक सीमित नहीं है, बल्कि इन संगठनों को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाना है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि आने वाले समय में दो करोड़ किसानों को एफपीओ से जोड़ा जाए और इनमें 50 प्रतिशत महिला किसान शामिल हों।”
चौहान ने यह भी आग्रह किया कि एफपीओ को खाद, बीज और कीटनाशक के लाइसेंस अधिक संख्या में प्रदान किए जाएं ताकि वे केवल उत्पादक न रहकर ‘उद्यमी किसान’ बन सकें। उन्होंने कहा कि किसान अब केवल खेत तक सीमित न रहें, बल्कि कृषि क्षेत्र में नवाचार और उद्यमिता के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाएं।