क्या कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए गंगटोक से श्रद्धालुओं का जत्था रवाना हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- कैलाश मानसरोवर यात्रा का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक है।
- आईटीबीपी श्रद्धालुओं की सुरक्षा का ध्यान रखती है।
- यात्रा के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया है।
- यह यात्रा जून से अगस्त 2025 तक आयोजित की जाएगी।
- कैलाश मानसरोवर यात्रा में 15 बैच शामिल हैं।
गंगटोक, 16 जून (राष्ट्र प्रेस) । सिक्किम के मार्ग से कैलाश मानसरोवर की ओर श्रद्धालुओं का एक जत्था प्रस्थान कर चुका है। सोमवार को, देश के विभिन्न हिस्सों से आए 35 श्रद्धालुओं ने गंगटोक से नाथुला की ओर 18वें माइल अनुकूलन केंद्र के लिए अपनी यात्रा आरंभ की। इन श्रद्धालुओं को भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस और सिक्किम पर्यटन विकास निगम के अधिकारियों द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।
35 श्रद्धालु रविवार की शाम गंगटोक पहुंचे थे। ये श्रद्धालु 20 जून को तिब्बत में प्रवेश करेंगे। नाथुला के मार्ग से तिब्बत में प्रवेश करने से पहले, वे 18वें माइल और शेरथांग में दो अनुकूलन केंद्रों पर ठहरेंगे।
सिक्किम पर्यटन विकास निगम के सीईओ राजेंद्र छेत्री ने कहा, "आईटीबीपी ने यात्रियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए ब्रीफिंग की है। इस बैच में 35 यात्री हैं और उनके साथ एक डॉक्टर भी हैं, जो आईटीबीपी के हैं। इस तरह से कुल संख्या 36 है।"
इस वर्ष कैलाश मानसरोवर के लिए 15 बैच रवाना होंगे, जिनमें प्रत्येक बैच में 50 यात्री शामिल होंगे। 5 बैच उत्तराखंड से लिपुलेख दर्रे को पार करेंगे और 10 बैच सिक्किम से नाथुला दर्रे को पार करेंगे। यात्रा का आयोजन जून से अगस्त 2025 के दौरान किया जाएगा।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, 'केएमवाईडॉटजीओवीडॉटइन' वेबसाइट पर आवेदन स्वीकार किए जा रहे हैं। 2015 के बाद से ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हुई है। कंप्यूटरीकृत प्रक्रिया के माध्यम से यात्रियों के रूट और बैच तय किए जाते हैं, जिसमें आमतौर पर परिवर्तन नहीं होता। हालांकि, आवश्यक होने पर चयनित यात्री बैच में परिवर्तन के लिए अनुरोध कर सकते हैं, लेकिन ये परिवर्तन तब ही संभव होते हैं जब खाली स्थान उपलब्ध हो।
कैलाश मानसरोवर यात्रा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत बड़ा है। यह स्थान भगवान शिव का निवास माना जाता है और हिंदुओं के लिए अत्यंत पवित्र है। जैन और बौद्ध अनुयायियों के लिए भी इस यात्रा का महत्व है।