क्या दिल्ली दंगा मामले में गुलफिशा फातिमा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया?

सारांश
Key Takeaways
- गुलफिशा फातिमा ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दाखिल की।
- दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज की थी।
- अनेक प्रमुख छात्र नेता और सामाजिक कार्यकर्ता इस मामले में आरोपी हैं।
- दिल्ली पुलिस ने दंगों के पीछे संगठित साजिश का आरोप लगाया है।
नई दिल्ली, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली दंगों की साजिश से संबंधित मामले में स्टूडेंट एक्टिविस्ट गुलफिशा फातिमा ने दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाल ही में, गुलफिशा की जमानत दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई थी।
गुलफिशा ने हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है।
गुलफिशा फातिमा को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हुए प्रदर्शनों की प्रमुख आयोजक माना जाता है। उन्हें 9 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था, और तब से वह यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत जेल में बंद हैं।
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के अनुसार, गुलफिशा पर आरोप है कि उसने और अन्य आरोपियों ने मिलकर फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के पीछे एक बड़ी साजिश रची थी।
दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 2 सितंबर को फातिमा सहित कुल नौ आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि इन आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त गंभीर सबूत हैं, जो दिखाते हैं कि दंगों की योजना संगठित तरीके से बनाई गई थी।
गुलफिशा फातिमा के साथ-साथ जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम ने भी हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उसने भी जमानत के लिए शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की है।
इस केस में कई प्रसिद्ध छात्र नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी आरोपी बनाए गए हैं, जिनमें ताहिर हुसैन, उमर खालिद, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, शिफा-उर-रहमान, आसिफ इकबाल तन्हा, शादाब अहमद, तस्लीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान, अतहर खान, सफूरा जरगर, शरजील इमाम, देवांगना कलिता, फैजान खान, और नताशा नरवाल शामिल हैं।
दिल्ली पुलिस का दावा है कि इन सभी ने मिलकर सीएए के विरोध को दंगों में बदलने की सुनियोजित योजना बनाई थी।