क्या 'हर घर स्वदेशी' अभियान से जनांदोलन बनेगा?
सारांश
Key Takeaways
- स्वदेशी उत्पादों को अपनाने का महत्व
- आत्मनिर्भरता का निर्माण
- महात्मा गांधी की विचारधारा का आधुनिक रूप
- स्थानीय उद्योगों को सशक्त करना
- राष्ट्रीय पहचान को बढ़ावा देना
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'आत्मनिर्भर भारत' की दृष्टि को हर व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए 'हर घर स्वदेशी, घर-घर स्वदेशी' अभियान को और तेज कर दिया है। मंगलवार को पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में राष्ट्रीय महामंत्री एवं सांसद अरुण सिंह ने कार्यालय के सभी सदस्यों को स्वदेशी उत्पादों को अपनाने की शपथ दिलाई।
कार्यक्रम में केंद्रीय कार्यालय सचिव महेंद्र पांडेय और अन्य सभी कर्मचारी भी उपस्थित थे। अरुण सिंह ने इसे महात्मा गांधी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय की स्वदेशी विचारधारा का आधुनिक रूप बताया। उन्होंने कहा, "आजादी से पहले 1905 के बंग-भंग आंदोलन में स्वदेशी ने अंग्रेजों को झुकाया था। आज, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह अभियान फिर से एक जनांदोलन बन रहा है। जब नेतृत्व पर विश्वास होता है, तब जनता दिल से जुड़ती है। कोरोना काल में जनता कर्फ्यू इसका उदाहरण है।"
उन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' में स्वदेशी हथियारों की सफलता को आत्मनिर्भरता का प्रतिनिधि बताया। ब्रह्मोस, आकाश मिसाइलों का निर्यात और मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में भारत का विश्व में दूसरा स्थान इसका प्रमाण है। उन्होंने बताया कि 2014 से पहले इंफ्रास्ट्रक्चर पर सालाना 2.5 लाख करोड़ रुपये खर्च होते थे, जो अब 12.5 लाख करोड़ रुपये हो गए हैं। 1,550 पुराने कानून खत्म किए गए और 35,000 अनुपालन हटाए गए, जिससे 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन' का मंत्र साकार हुआ। परिणामस्वरूप भारत 11वीं से चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना और दो वर्षों में तीसरे स्थान पर पहुँच जाएगा। गुजरात में सेमीकंडक्टर प्लांट इसका नया अध्याय है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर देशभर में सम्मेलन, महिला सम्मेलन और जागरूकता कार्यक्रम चल रहे हैं। हर घर में स्वदेशी स्टीकर लगाने की योजना है। उन्होंने कहा, "स्वदेशी केवल उत्पाद नहीं, जीवनशैली है। विदेशी सामान के स्थान पर भारतीय विकल्प चुनें, गांव के कारीगरों को सशक्त करें, युवाओं को रोजगार दें। यही सच्चा राष्ट्रवाद है।"
शपथ ग्रहण के दौरान सभी ने प्रतिज्ञा की, "मैं भारत माता की सेवा के लिए अपने दैनिक जीवन में स्वदेशी अपनाऊंगा, विदेशी उत्पादों का बहिष्कार करूंगा, स्थानीय उद्योगों को प्राथमिकता दूंगा, भारतीय भाषा-परंपरा को बढ़ावा दूंगा और विकसित भारत के संकल्प में योगदान दूंगा।"