हरियाली तीज 2025: क्या भगवान शंकर और मां पार्वती के पूजन से मिलता है अखंड सौभाग्य का वरदान?

सारांश
Key Takeaways
- हरियाली तीज
- महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं।
- पूजन विधि में सोलह श्रृंगार का महत्व है।
- इस दिन झूले झूलने की परंपरा है।
- हरियाली तीज पूरे भारत में मनाई जाती है, विशेषकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश में।
नई दिल्ली, 26 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला तीज पर्व माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं। दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन का अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा जबकि राहुकाल का समय 5 बजकर 33 मिनट से 7 बजकर 15 मिनट तक है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन हुआ था। शिव पुराण के अनुसार, माता पार्वती ने सैकड़ों वर्षों की तपस्या के बाद भगवान शिव को प्राप्त किया था। इसी कारण, देवी पार्वती को 'तीज माता' के रूप में भी जाना जाता है।
महिलाएं इस दिन उपवास रखकर अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना करती हैं। कुंवारी कन्याएं भी अपने मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं। अगर कोई उपवास नहीं रख पाता है, तो उन्हें सात्विक आहार ही लेना चाहिए। हरियाली तीज को विवाहित महिलाएं विशेष तरीके से मनाती हैं।
इस वर्ष हरियाली तीज 26 जुलाई, 2025 को रात 10 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर 27 जुलाई, 2025 को रात 10 बजकर 41 मिनट तक मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज का व्रत 27 जुलाई को रखा जाएगा।
इस दिन व्रत करने के लिए महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनती हैं, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करती हैं, फिर एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखती हैं। इसके बाद, शुद्ध मिट्टी या बालू से भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बनाते हैं। अगर मिट्टी की प्रतिमा संभव न हो, तो उनकी तस्वीर या मूर्ति स्थापित की जा सकती है। माता को 16 श्रृंगार का सामान (साड़ी, चुनरी, सिंदूर, बिंदी, मेहंदी, चूड़ियां, महावर, काजल, आदि), फल, फूल, मिठाई (विशेषकर घेवर और फीणी) चढ़ाते हैं और भोलेनाथ के लिए बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, फल, जल, गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी (पंचामृत), चंदन, अक्षत चढ़ाते हैं। फिर हरियाली तीज की व्रत कथा का पाठ करते हैं या सुनते हैं। अंत में भगवान शिव और देवी पार्वती की आरती करते हैं और हाथ जोड़कर पूजा में हुई किसी भी भूल-चूक के लिए क्षमा याचना करते हैं। अगले दिन (या जब व्रत खोलें), मिट्टी की प्रतिमाओं और पूजा सामग्री को किसी नदी या पवित्र जल में विसर्जित कर दें।
यह पर्व देश के अधिकांश राज्यों में विशेष तरीके से मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी लगाती हैं, हरी चूड़ियां पहनती हैं और हरे रंग के कपड़े पहनकर सोलह श्रृंगार करती हैं।
इस दिन झूले झूलने का भी खास महत्व है। गांवों में यह पर्व पूरे उत्साह से मनाया जाता है। खासकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश में, मायके वाले अपनी बेटी के घर में सावन का सिंधारा भेजते हैं। वहीं, सास अपनी बहुओं को इस दिन विशेष उपहार देती हैं।
हरियाली तीज भारत के विभिन्न हिस्सों में मनाई जाती है, लेकिन हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुरु और ब्रज अंचल में इसे विशेष रूप से मनाया जाता है।