क्या 'हेल्थ इन इकोसिस्टम' है स्वास्थ्य का नया मंत्र?

सारांश
Key Takeaways
- स्वास्थ्य और पर्यावरण का गहरा संबंध है।
- संतुलित जीवनशैली अपनाना आवश्यक है।
- पर्यावरण की रक्षा करके स्वास्थ्य में सुधार किया जा सकता है।
- छोटे-छोटे बदलाव से हम सतत जीवनशैली अपना सकते हैं।
- पौधों पर आधारित आहार स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
नई दिल्ली, 29 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। हमारी सेहत का खजाना संतुलित जीवनशैली पर टिका है। एक वास्तविकता यह भी है कि हमारी सेहत का संबंध केवल शरीर से नहीं, बल्कि पूरे पर्यावरण से भी है। विशेषज्ञ इसे 'हेल्थ इन इकोसिस्टम' के नाम से जानते हैं। इसका अर्थ है – यदि हमारा पर्यावरण संतुलित और स्वस्थ रहेगा, तो हम भी स्वस्थ रहेंगे। डब्ल्यूएचओ भी इसे लेकर विश्व को मार्गदर्शन करता है।
आज जब जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण की समस्याएँ बढ़ रही हैं, तब 'हेल्थ इन इकोसिस्टम' का विचार हमें याद दिलाता है कि इंसान और प्रकृति अलग नहीं बल्कि एक ही चक्र का हिस्सा हैं। यदि हम प्रकृति की रक्षा करेंगे, तो वह भी हमें बेहतर स्वास्थ्य का उपहार लौटाएगी। सतत जीवनशैली का वास्तविक संदेश है स्वस्थ ग्रह, स्वस्थ इंसान।
हवा, पानी और मिट्टी की गुणवत्ता से लेकर हमारे खाने की थाली तक, सब कुछ हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। प्रदूषित वायु केवल सांस की बीमारियों का कारण नहीं बनती, बल्कि हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ाती है। रासायनिक खाद और कीटनाशकों से उगाई गई सब्जियां और अनाज हमारे शरीर में धीरे-धीरे जहर घोल देते हैं। यही कारण है कि 'सतत जीवनशैली' या 'सस्टेनेबल लाइफस्टाइल', आज एक महत्वपूर्ण आंदोलन बन चुका है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में हर साल लगभग 70 लाख लोग प्रदूषण से संबंधित बीमारियों के कारण समय से पहले मौत का शिकार हो जाते हैं। वहीं भारत में आईसीएमआर (2023) की एक अध्ययन में पाया गया कि पर्यावरणीय कारणों से श्वसन रोग और हृदय रोग के मामलों में तेजी आई है। इसका सीधा असर न केवल हमारी उम्र पर बल्कि जीवन की गुणवत्ता पर भी पड़ता है।
सतत या संतुलित जीवनशैली अपनाना कठिन नहीं है। इसका अर्थ है ऐसे छोटे-छोटे परिवर्तन करना जो हमारी धरती और शरीर दोनों के लिए फायदेमंद हों, जैसे स्थानीय और मौसमी फल-सब्जियां खाना, प्लास्टिक की बजाय पुनः प्रयोग योग्य सामग्री का उपयोग करना, कार्बन फुटप्रिंट कम करने के लिए पैदल चलना या साइकिल चलाना, और घर की ऊर्जा खपत को नियंत्रित करना। ये परिवर्तन हमारे स्वास्थ्य को स्वाभाविक रूप से बेहतर करते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण को सुरक्षित रखते हैं।
नए शोध यह भी बताते हैं कि प्लांट-बेस्ड डाइट, ऑर्गेनिक खेती और पारंपरिक खाद्य आदतें न केवल पोषण का अच्छा स्रोत हैं बल्कि हमारी धरती का बोझ भी कम करती हैं। 2024 में लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन ने स्पष्ट कहा कि यदि दुनिया के लोग पौधों पर आधारित आहार की ओर झुकें, तो न केवल हृदय रोग और मोटापे जैसे खतरों में कमी आएगी, बल्कि ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी घटेगा।