क्या आईएमएफ डेटा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है?
सारांश
Key Takeaways
- घरेलू खपत में वृद्धि से अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है।
- आईएमएफ के आंकड़े सकारात्मक हैं।
- 2025 तक अर्थव्यवस्था में 6.6 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
- मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टर में तेजी आ रही है।
- वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती हो रही है।
नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय अर्थव्यवस्था घरेलू खपत में वृद्धि के कारण तेजी से आगे बढ़ रही है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के हालिया आंकड़े बेहद सकारात्मक और प्रेरणादायक हैं। यह जानकारी अर्थशास्त्री द्वारा रविवार को साझा की गई।
आईएमएफ ने अपने नए आकलन में बताया है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2025 में 6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी और यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बनी रहेगी।
इन आंकड़ों पर राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए इन्फोमेरिक्स रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. मनोरंजन शर्मा ने कहा, "आईएमएफ के आंकड़े अर्थव्यवस्था की एक सकारात्मक और उत्साहजनक तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। भारत की अर्थव्यवस्था 2026 में 6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जबकि चीन की अर्थव्यवस्था इस दौरान 4.8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी।"
उन्होंने बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने के तीन मुख्य कारण हैं: पहला- घरेलू खपत में वृद्धि, दूसरा- मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी और तीसरा- सर्विसेज सेक्टर का तेज विकास।
शर्मा के अनुसार, देश की अर्थव्यवस्था ऐसे समय में आगे बढ़ रही है, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर में गिरावट देखी जा रही है। वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2024 में 3.3 प्रतिशत थी और इसके 2025 में 3.2 प्रतिशत और 2026 में 3.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।
आईएमएफ ने अपने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में वैश्विक अर्थव्यवस्था के धीमेपन का कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ को बताया है।
आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार, विकसित अर्थव्यवस्थाएं 1.6 प्रतिशत की दर से बढ़ेंगी, जबकि विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के 4.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।
अमेरिका की अर्थव्यवस्था के 1.9 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है, जो कि 2024 में 2.4 प्रतिशत थी। स्पेन 2.9 प्रतिशत की वृद्धि के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली विकसित अर्थव्यवस्था बनेगी।