क्या भारत ने कोच्चि में बीआईएमआरईएन का पहला द्विवार्षिक सम्मेलन आयोजित किया?
सारांश
Key Takeaways
- बंगाल की खाड़ी में ब्लू इकोनॉमी सहयोग को बढ़ावा।
- मरीन रिसर्च में क्षेत्रीय सहयोग का विकास।
- युवाओं के लिए वैज्ञानिक नेटवर्क का निर्माण।
- नीतियों के विकास पर चर्चा।
- भारत का वैश्विक समुद्री सहयोग में योगदान।
नई दिल्ली, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने कोच्चि में बिम्सटेक-भारत समुद्री अनुसंधान नेटवर्क (बीआईएमआरईएन) के पहले द्विवार्षिक सम्मेलन की मेज़बानी की। इससे बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में ब्लू इकोनॉमी सहयोग को मजबूती मिलेगी। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में एक बयान जारी कर जानकारी दी।
बीआईएमआरईएन सम्मेलन का आयोजन 4 से 6 नवंबर तक किया गया था। इसके अंतर्गत मरीन रिसर्च और ब्लू इकोनॉमी के पहलों में क्षेत्रीय सहयोग को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। सम्मेलन में समुद्री चुनौतियों, इकोसिस्टम हेल्थ और रिसर्च के नए तरीकों की खोज पर ध्यान केंद्रित किया गया। युवा रिसर्चर्स के बीच वैज्ञानिक नेटवर्क का निर्माण, प्रभावी मरीन रिसोर्स मैनेजमेंट और नीतियों के विकास पर चर्चा की गई।
विदेश मंत्रालय की पहल से बीआईएमआरईएन की शुरुआत 2024 में हुई, जिसका लक्ष्य रिसर्च अनुदानों और पीएचडी फेलोशिप के माध्यम से संस्थागत सहयोग को सक्षम बनाना है। इस प्रक्रिया से भारत के प्रमुख रिसर्च सेंटरों को अन्य बीआईएमआरईएन से जुड़े देशों के साथ जोड़ा जा सकेगा।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "2022 में कोलंबो बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने मरीन साइंस में समूह रिसर्च को मजबूत करने के लिए बीआईएमआरईएन पहल की घोषणा की थी। यह पहल भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट,' 'एक्ट ईस्ट,' 'इंडो-पैसिफिक,' और 'महासागर' रणनीतियों के तहत व्यापक क्षेत्रीय नीतिगत उद्देश्यों के अनुरूप है।"
मंत्रालय ने संज्ञान दिलाया कि यह सम्मेलन बीआईएमआरईएन के भागीदारों को एकत्रित करने के लिए आयोजित किया गया ताकि इसकी गतिविधियों के परिणामों पर चर्चा की जा सके। अब तक बिम्सटेक देशों के 25 संस्थानों और 50 से अधिक रिसर्चर्स को जोड़ा गया है।
ज्ञात हो कि, पहले अप्रैल में, थाईलैंड में छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान, पीएम मोदी ने एक व्यापक 21-सूत्रीय कार्य योजना प्रस्तुत की थी, जिसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के लिए एक रोडमैप तैयार करना था।