क्या बीएलओ को बंधक बनाने वाले बयान पर इरफान अंसारी ने सफाई दी?
सारांश
Key Takeaways
- बूथ स्तर अधिकारी की भूमिका महत्वपूर्ण है।
- फर्जी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
- संविधान और लोकतंत्र की रक्षा आवश्यक है।
- सिरफ बयानों पर नियंत्रण जरूरी है।
- जनता की आवाज़ को सुनना बेहद महत्वपूर्ण है।
रांची, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड सरकार के मंत्री डॉ. इरफान अंसारी एक विवादास्पद बयान के कारण सुर्खियों में हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि बूथ स्तर अधिकारी (बीएलओ) गहन पुनरीक्षण सर्वेक्षण (एसआईआर) के लिए आपके घर आते हैं, तो उन्हें घर के अंदर बंद कर देना चाहिए। इस बिंदु पर अब उन्होंने सफाई दी है कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में इरफान अंसारी ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य केवल यह था कि कुछ फर्जी लोग नकली बीएलओ बनकर गरीबों को डराने और पैसे वसूलने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और यदि कोई संदिग्ध व्यक्ति नाम काटने या अन्य अवैध कार्य करने आता है, तो उसकी सूचना हमें और प्रशासन को दें।
उन्होंने बताया कि बीएलओ हमारे सम्मानित पदाधिकारी हैं और निर्वाचन आयोग का हिस्सा हैं। कोई भी फर्जी व्यक्ति उनकी जगह नहीं ले सकता। मैंने केवल यह निवेदन किया है कि चुनाव आयोग सही प्रक्रिया अपनाए ताकि किसी भी गरीब, वंचित या सामान्य नागरिक का नाम गलत तरीके से न काटा जाए।
इरफान अंसारी ने यह भी कहा कि एसआईआर जैसे प्रस्ताव का झारखंड में लागू होना करोड़ों लोगों को प्रभावित करेगा, इसलिए इस पर जनता की आवाज और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा अत्यंत आवश्यक है। मैं हमेशा लोकतंत्र, संविधान और जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हूं।
अंसारी ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा एसआईआर की आड़ में लोगों को घुसपैठिया करार देने और मतदाता सूची से उनके नाम हटाने की साजिश कर रही है। उनका कहना था कि यदि कोई (बीएलओ) आपका नाम मतदाता सूची से हटाने आए, तो उसे अपने घर के अंदर बंद कर दें। किसी भी कीमत पर उन्हें मतदाता सूची से अपना नाम हटाने न दें।
इस पर भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने पलटवार करते हुए कहा कि मैं इंडिया गठबंधन से पूछना चाहता हूं कि क्या यह लोकतंत्र को बंधक बनाने का प्रयास नहीं है? क्या संविधान खतरे में है? जहां-जहां ये लोग सत्ता में आते हैं, वहां कुछ संदिग्ध स्त्रोतों से वोट पाकर सत्ता पर कब्जा करने के लिए संविधान की भावना को दरकिनार कर दिया जाता है।