क्या आईएसएएमआरए का ऐतिहासिक फैसला, पहली बार संगीतकारों और कोरस गायकों को रॉयल्टी मिलेगी?

सारांश
Key Takeaways
- संगीतकारों और कोरस गायकों को पहली बार रॉयल्टी मिलेगी।
- आईएसएएमआरए ने यह ऐतिहासिक फैसला लिया है।
- रॉयल्टी वितरण में 4.5 करोड़ रुपए का फंड शामिल है।
- संगीत उद्योग में कलाकारों को अधिकार दिए जा रहे हैं।
- यह बदलाव संगीत जगत में एक नई शुरुआत का प्रतीक है।
मुंबई, 30 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय गायक एवं संगीतकार अधिकार संघ (आईएसएएमआरए) ने अपनी 12वीं वार्षिक आम बैठक में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। उन्होंने भारतीय संगीत के इतिहास में पहली बार रॉयल्टी न केवल गायकों को, बल्कि संगीतकारों, कोरस गायकों और इसमें सहयोग देने वाले कलाकारों को भी प्रदान की जाएगी।
संगीतकारों और कोरस गायकों को आईएसएएमआरए के संस्थापक और प्रबंध निदेशक संजय टंडन के साथ-साथ दिग्गज कलाकार सोनू निगम, अनूप जलोटा, हरिहरन, उदित नारायण, अनुराधा पौडवाल, जसपिंदर नरूला, सुदेश भोसले, शैलेंद्र सिंह और अन्य के हाथों रॉयल्टी प्रदान की जाएगी।
पहले चरण में 88 सदस्यों में से 62 संगीतकारों और 61 सदस्यों में से 40 कोरस गायकों को रॉयल्टी दी जाएगी। आईएसएएमआरए से जुड़े गैर-फीचर्ड संगीतकारों और गायकों को रॉयल्टी के रूप में 4.5 करोड़ रुपए वितरित किए जाएंगे।
आईएसएएमआरए के सीईओ संजय टंडन ने कहा, “यह भारतीय इतिहास में पहली बार होगा। इससे पहले संगीतकारों और कोरस गायकों को कभी रॉयल्टी नहीं मिली थी। हमने इसके लिए वर्षों तक संघर्ष किया है और अब मुझे इसे हकीकत बनते देखकर गर्व महसूस हो रहा है। गायकों के साथ-साथ अब संगीतकारों और कोरस गायकों को भी रॉयल्टी मिलेगी। यह तो बस शुरुआत है। मैं चाहता हूं कि संगीत जगत से जुड़े लोग आगे आएं, इसके सदस्य बनें और भारत में कलाकारों के अधिकारों को आगे बढ़ाने में मदद करें।”
इस कार्यक्रम में उपस्थित सिंगर अनूप जलोटा ने कहा, "पहले रॉयल्टी गायकों और उनके परिवार को बांट दी जाती थी, लेकिन हमने देखा कि गाने में संगीतकार भी हैं, कोरस गायक भी हैं, और अन्य कलाकारों का भी हाथ है। इसलिए अब यह फैसला किया गया है कि अब रॉयल्टी मिलेगी। अब हम कलाकारों और उनके परिवार वालों से आह्वान करते हैं कि वो आएं और इसका सदस्य बनें ताकि इसका लाभ सबको मिल सके। हमारे पास जो हिट गानों से रॉयल्टी मिलती है, उसे सबके साथ बांटना चाहते हैं।"
इस ऐतिहासिक कदम के साथ संगठन यह सुनिश्चित करेगा कि हर सुर - चाहे वह गाया जाए या बजाया जाए—को उसका हक मिले।