क्या चुनाव आयोग को 'चुनाव आयोग' की तरह कार्य करना चाहिए? : जदयू विधायक संजीव कुमार

सारांश
Key Takeaways
- चुनाव आयोग को अपने कार्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- राहुल गांधी के आरोपों का चुनाव आयोग ने खंडन किया।
- सही मतदाताओं के नाम कटना एक गंभीर मुद्दा है।
- बिहार में आगामी चुनावों की तैयारियों में हलचल जारी है।
- सभी राजनीतिक दलों को समान अवसर मिलना चाहिए।
पटना, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में इस वर्ष चुनाव होने जा रहे हैं। चुनाव से पहले, चुनाव आयोग मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण कर रहा है, जिससे पटना से लेकर दिल्ली तक हलचल मची हुई है। इस दौरान, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी को माफी मांगने के लिए कहने पर जदयू विधायक संजीव कुमार ने अपनी असहमति जताई।
उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। पटना में मीडिया को दिए गए बयान में उन्होंने कहा, 'यह एक बेतुकी बात है। किस बात के लिए माफी मांगनी है? चुनाव आयोग का क्या अधिकार है किसी नेता को माफी मंगवाने का? चुनाव आयोग कोई राष्ट्रीय पार्टी नहीं है। बेहतर यही होगा कि चुनाव आयोग अपने कार्य पर ध्यान केंद्रित करे। ऐसा बयान देकर वे खुद को विवाद में डाल रहे हैं।'
वास्तव में, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर कई आरोप लगाए थे, जिनका चुनाव आयोग ने खंडन किया। उन्होंने कहा कि यदि आरोपों के सबूत हैं तो उन्हें सात दिन के भीतर शपथ पत्र के रूप में प्रस्तुत करना होगा, अन्यथा उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी पड़ेगी।
इसके अलावा, जदयू विधायक ने मुजफ्फरपुर में एक मृत व्यक्ति को जीवित करने की एसआईआर प्रक्रिया पर टिप्पणी करते हुए कहा, 'मेरे गांव में 28 लोग हैं जो हमारे वोटर हैं। पिछले तीन-चार वर्षों से वे नहीं आए हैं। यह मेरे अपने बूथ की बात है। उनके नाम काट दिए गए हैं। वे कोई घुसपैठिए नहीं हैं, बल्कि हमारे समाज और जाति के हैं और दिल्ली-मुंबई में काम करते हैं।' उन्होंने कहा कि संपर्क नहीं कर पाने के कारण उनका नाम कट गया। अब यदि वे चुनाव में वोट देने आते हैं तो क्या कहेंगे?
उनका यह भी कहना था कि गलतियां हो रही हैं और सही मतदाताओं के भी नाम कट रहे हैं। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की यात्रा को लेकर उन्होंने कहा कि यह एक सकारात्मक पहल है।