क्या झारखंड में नगर निकाय चुनाव न कराए जाने पर हाईकोर्ट नाराज?

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क्या झारखंड में नगर निकाय चुनाव न कराए जाने पर हाईकोर्ट नाराज?

सारांश

झारखंड हाईकोर्ट ने नगर निकाय चुनाव न कराने पर सरकार की कड़ी आलोचना की है। अदालत ने मुख्य सचिव और अन्य अफसरों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने का निर्णय लिया। जानिए इस मामले की पूरी जानकारी और कोर्ट के आदेश का महत्व।

Key Takeaways

  • झारखंड हाईकोर्ट ने चुनाव न कराने पर सरकार को फटकारा।
  • मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी।
  • अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी।
  • ओबीसी आरक्षण का ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया लंबित है।
  • नगर निकायों का कार्यकाल अप्रैल 2023 में समाप्त हो चुका है।

रांची, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाईकोर्ट ने अदालत के आदेश के बावजूद राज्य में नगर निकायों के चुनाव न कराने पर बुधवार को एक बार फिर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने अदालत के आदेश की अवहेलना की है, इसलिए राज्य की मुख्य सचिव अलका तिवारी समेत अन्य जिम्मेदार आईएएस अफसरों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाएगी।

मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को निर्धारित करते हुए कोर्ट ने मुख्य सचिव के अलावा नगर विकास विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव विनय चौबे, आईएएस अधिकारी वंदना डाडेल, अपर सचिव ज्ञानेश कुमार और अन्य को नोटिस जारी करते हुए सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि इन सभी के खिलाफ चार्ज फ्रेम कर मुकदमा चलाया जाएगा। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि नगर निकायों में ओबीसी को आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया चल रही है।

इस प्रक्रिया के बाद चुनाव कराए जाएंगे। न्यायालय ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि सरकार अदालत के आदेश और कानून के साथ खिलवाड़ कर रही है। जस्टिस आनंदा सेन की बेंच ने रांची नगर निगम की निवर्तमान पार्षद रोशनी खलखो की ओर से दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के बाद 4 जनवरी 2024 को निर्देश दिया था कि राज्य के सभी नगर निकायों के चुनाव तीन सप्ताह के भीतर कराए जाएं। इस आदेश का आज तक अनुपालन नहीं हुआ है। इसे लेकर कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई है।

प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह ने अदालत में दलील पेश करते हुए कोर्ट से इस मामले में कार्रवाई की मांग की।

उल्लेखनीय है कि झारखंड के सभी नगर निकायों का कार्यकाल अप्रैल 2023 में समाप्त हो चुका है। 27 अप्रैल 2023 तक नए चुनाव कराने थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसके पीछे की वजह यह है कि राज्य सरकार ने नगर निकायों का नया चुनाव कराने से पहले ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने का निर्णय लिया है। इसके लिए सरकार ने ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया लगभग एक साल पहले शुरू की थी, लेकिन अब तक यह पूरी नहीं हो पाई है। अप्रैल 2023 के बाद से राज्य के सभी नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद और नगर पंचायतों का प्रबंधन सरकारी प्रशासकों के हाथों में सौंप दिया गया है। पिछले सवा दो वर्षों से इन निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की कोई भूमिका नहीं रह गई है।

Point of View

NationPress
10/09/2025

Frequently Asked Questions

झारखंड हाईकोर्ट ने क्यों नाराजगी जताई?
हाईकोर्ट ने नगर निकाय चुनाव न कराने पर प्रशासन की अवहेलना के लिए नाराजगी जताई।
अगली सुनवाई कब है?
अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।
मुख्य सचिव के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है?
मुख्य सचिव अलका तिवारी सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाएगी।
ओबीसी आरक्षण का ट्रिपल टेस्ट क्या है?
यह एक प्रक्रिया है जिसके तहत ओबीसी समुदाय के लिए आरक्षण का प्रतिशत तय किया जाता है।
नगर निकायों का कार्यकाल कब समाप्त हुआ?
झारखंड के सभी नगर निकायों का कार्यकाल अप्रैल 2023 में समाप्त हुआ।