क्या जेएसएससी-सीजीएल पेपर लीक मामले में झारखंड हाईकोर्ट का फैसला मंगलवार को आएगा?
सारांश
Key Takeaways
- झारखंड हाईकोर्ट में जेएसएससी-सीजीएल पेपर लीक मामले की सुनवाई पूरी हुई।
- मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर ने फैसला सुरक्षित रखा।
- सीबीआई जांच की मांग पर विचार किया जाएगा।
- इस फैसले पर हजारों अभ्यर्थियों की नजरें टिकी हैं।
- परीक्षा में पेपर लीक की घटनाओं की जांच का संज्ञान लिया जाएगा।
रांची, 3 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा (जेएसएससी-सीजीएल) में कथित पेपर लीक की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई समाप्त हो गई। मुख्य न्यायाधीश तarlok सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने राज्य सरकार, आयोग और याचिकाकर्ताओं की ओर से हुई विस्तृत बहस के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अब इस मामले में अदालत मंगलवार को निर्णय सुनाएगी।
इस फैसले पर राज्य के हजारों अभ्यर्थियों की नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि परिणाम पर रोक के चलते चयन प्रक्रिया फिलहाल ठप है। अदालत का निर्णय यह तय करेगा कि जांच सीबीआई को सौंपी जाएगी या नहीं, और क्या आयोग को परिणाम जारी करने की अनुमति दी जाएगी।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने पक्ष रखा, जबकि जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता संजॉय पिपरवाल पेश हुए। याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार सिन्हा और हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार ने दलीलें दीं। सभी पक्षों की बहस समाप्त होने के बाद अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया।
राज्य में करीब दो हजार से अधिक पदों पर नियुक्ति के लिए जेएसएससी-सीजीएल परीक्षा 21 और 22 सितंबर 2024 को राज्यभर के 823 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित हुई थी। परीक्षा में 3,04,769 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। आयोग ने इस परीक्षा के आधार पर 5 दिसंबर 2024 को 2,145 अभ्यर्थियों को शॉर्टलिस्ट किया था।
इसी बीच, परीक्षा में पेपर लीक के आरोपों की सीबीआई जांच की मांग को लेकर राजेश कुमार एवं अन्य ने झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को परिणाम प्रकाशित करने पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इसके बाद अदालत में कई तारीखों पर सुनवाई हुई।
राज्य की ओर से बताया गया कि अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) की जांच में अब तक पेपर लीक का कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं मिला है, जबकि आयोग के अधिवक्ताओं ने भी किसी तरह की लीक की घटना से इनकार किया। दूसरी ओर, याचिकाकर्ताओं ने प्रश्नपत्रों की पुनरावृत्ति, कई परीक्षा केंद्रों के बाहर के वीडियो और अन्य तथ्यों के आधार पर सीबीआई जांच की मांग दोहराई।