क्या कनिष्क त्रासदी की 40वीं बरसी पर हरदीप सिंह पुरी ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश दिया?

सारांश
Key Takeaways
- कनिष्क त्रासदी ने मानवता की भावना को जागृत किया।
- आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की आवश्यकता है।
- हरदीप सिंह पुरी का संदेश मानवता की जीत का प्रतीक है।
- ऐसी घटनाओं से हमें सीखने की जरूरत है।
- समाज में सहानुभूति और समानता का प्रचार करना चाहिए।
नई दिल्ली, 23 जून (राष्ट्र प्रेस)। एयर इंडिया 'कनिष्क' विमान विस्फोट की 40वीं बरसी पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और मानवता की जीत का संदेश दिया। उन्होंने इस विस्फोट को भारत को विभाजित करने की मंशा रखने वाले आतंकियों द्वारा किया गया एक जघन्य कृत्य बताया।
हरदीप सिंह पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "एयर इंडिया कनिष्क में बम विस्फोट की घटना, भारत को विभाजित करने की कभी न पूरी होने वाली मंशा पाले आतंकियों द्वारा किया गया जघन्य कृत्य था। 1985 की इस त्रासदी के बाद अहाकिस्ता के लोगों ने शोकग्रस्त परिवारों के लिए अपने घर और दिल खोल दिए थे। यह मानवता का एक ऐसा कार्य था, जो आज भी प्रेरणा देता है।"
उन्होंने आगे कहा कि इस दुखद हादसे की आज 40वीं बरसी पर आयरलैंड में आयोजित अंतरराष्ट्रीय श्रद्धांजलि समारोह में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ शामिल होकर मैंने इस हादसे में मारे गए 80 से अधिक बच्चों सहित सभी 329 लोगों को श्रद्धांजलि दी। यह श्रद्धांजलि कार्यक्रम नफरत और आतंक फैलाने वालों के लिए एक सन्देश है कि वे मानवता, लोकतंत्र और दोस्ती पर कभी हावी नहीं होंगे। हम मिलकर लड़ेंगे और उनका खात्मा करेंगे।
हरदीप सिंह पुरी के नेतृत्व में आयरलैंड में कॉर्क के अहाकिस्ता मेमोरियल में श्रद्धांजलि समारोह में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ और पांच भारतीय राज्यों के निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल हैं, जिनमें अरविंदर सिंह लवली (दिल्ली विधायक), बलदेव सिंह औलाख (उत्तर प्रदेश के मंत्री), गुरवीर सिंह बराड़ (राजस्थान के विधायक), त्रिलोक सिंह चीमा (उत्तराखंड के विधायक) और नरिंदर सिंह रैना (जम्मू और कश्मीर के विधायक) शामिल रहे।
बता दें कि कनाडा के मॉन्ट्रियल से नई दिल्ली आ रही एयर इंडिया की उड़ान-182 में 23 जून 1985 को लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर उतरने से 45 मिनट पहले विस्फोट हो गया था। चालक दल सहित विमान में सवार सभी 329 लोग मारे गए थे। मरने वालों में ज्यादातर भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक थे। बम विस्फोट के लिए खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया गया था।
ऐसा माना जाता है कि यह हमला 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' के खिलाफ प्रतिक्रिया के रूप में किया गया था। भारतीय सेना ने पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के अंदर छिपे आतंकवादियों के खिलाफ 1984 में 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' चलाया था।