क्या हमारा राज्य झीलों को पानी से भरने में एशिया में सबसे अच्छा काम कर रहा है? : मुख्यमंत्री सिद्धारमैया

सारांश
Key Takeaways
- कर्नाटक झीलों को पानी से भरने में एशिया में सबसे अच्छा कर रहा है।
- 37 लाख बोरवेल के माध्यम से भूजल का उपयोग।
- जल संरक्षण के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
- केसी वैल्यू परियोजना से भूजल स्तर में सुधार।
- सरकार की योजनाएं जल उपयोग के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर केंद्रित हैं।
बंगलुरु, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने यह उल्लेख किया कि राज्य झीलों को पानी से भरने में एशिया में सबसे उत्कृष्ट काम कर रहा है। वे गुरुवार को बैंक्वेट हॉल में लघु सिंचाई विभाग द्वारा आयोजित 'जल है तो कल है' कार्यक्रम का उद्घाटन करते समय यह बात कह रहे थे।
उन्होंने कहा कि सभ्यता का विकास पानी पर निर्भर है और यह आज भी उसी पर आधारित है। मंत्री बोसराजू विभाग द्वारा जल उपयोग, जल मूल्य और भूजल संवर्धन पर सकारात्मक कार्यक्रम तैयार कर रहे हैं। यह एक स्वागत योग्य पहल है। उन्होंने जनता से पानी की आवश्यकता और स्थिति के प्रति जागरूक रहने का आह्वान किया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में 37 लाख बोरवेल के माध्यम से भूजल का उपयोग हो रहा है, जबकि लाखों अनधिकृत बोरवेल भी हैं जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं है। उन्होंने कहा कि इनका उपयोग राष्ट्रीय औसत से 8 प्रतिशत अधिक हो रहा है। 144 तालुकों को छोड़कर बाकी सभी तालुकों में पानी और भूजल की कमी है। इसी कारण से कोलार और चिक्कबल्लापुर की झीलों को भरने के लिए केसी वैल्यू परियोजना लागू की गई है। इससे भूजल स्तर में वृद्धि हुई है, लेकिन कुछ लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमने चिक्कबल्लापुर, डोड्डाबल्लापुर, तुमकुर और बेंगलुरु ग्रामीण जिलों में भूजल स्तर बढ़ाने के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जिससे भूजल स्तर में सुधार हुआ है।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार, कानून मंत्री एच.के. पाटिल, लघु सिंचाई मंत्री एन.एस. बोसराजू, वन एवं पर्यावरण मंत्री ईश्वर खंड्रे, केकेआर डीबी के अध्यक्ष अजय सिंह, और मैग्सेसे पुरस्कार विजेता पर्यावरणविद् राजेंद्र सिंह सहित कई महत्वपूर्ण व्यक्ति उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्नाटक के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का हमारा लक्ष्य है। बजट घोषणा के अनुसार, हमारी सरकार ने प्रमुख पुलों के निर्माण के लिए 1,000 करोड़ और मलनाड एवं तटीय क्षेत्रों में बाढ़ से क्षतिग्रस्त पुलों के पुनर्निर्माण और नए पैदल पुलों के लिए 1,000 करोड़ स्वीकृत किए हैं।
--आईएनएस
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