क्या कर्नाटक के किट्टूर रानी चेनम्मा मिनी जू में काला हिरणों की मौत का सिलसिला थम पाएगा?
सारांश
Key Takeaways
- कर्नाटक के किट्टूर रानी चेनम्मा मिनी जू में 30 काला हिरण की मौतें हुई हैं।
- मौतों का कारण हेमोरैजिक सेप्टीसीमिया संक्रमण है।
- सरकार ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
- बचे हुए हिरणों की निगरानी की जा रही है।
बेलगावी, 17 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक के बेलगावी जिले के किट्टूर रानी चेनम्मा मिनी जू में काला हिरणों की रहस्यमयी मौतों का सिलसिला जारी है। सोमवार को एक और ब्लैकबक की मौत से मृतक हिरणों की संख्या 30 हो गई है। बचे हुए हिरणों की निगरानी कड़ी सुरक्षा के साथ की जा रही है और उनकी मेडिकल जांच लगातार चल रही है।
पिछले चार दिनों में 30 ब्लैकबक की मौत ने वन विभाग और पशु चिकित्सकों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। प्रारंभिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हेमोरैजिक सेप्टीसीमिया (एचएस) नामक घातक बैक्टीरियल संक्रमण की पुष्टि हुई है, जो हिरणों जैसे शाकाहारी जानवरों में तेजी से फैलता है।
जू प्रबंधन के अनुसार, मौतों का कारण एक बड़े पैमाने पर फैला संक्रमण है, जो कोरोना महामारी जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न कर सकता है। हालाँकि, यह केवल जानवरों के बीच फैलने वाला संक्रमण है।
इस बीच, काला हिरणों की संदिग्ध मौतों के कारण स्थानीय लोगों में भारी नाराज़गी है। बेलगावी ही नहीं, पड़ोसी जिलों और महाराष्ट्र से भी पर्यटक इन हिरणों को देखने आते थे।
वन मंत्री ईश्वर खंड्रे ने मामले को गंभीर मानते हुए जांच के आदेश दिए हैं और चेतावनी दी है कि यदि वनकर्मियों या जू स्टाफ की लापरवाही पाई गई, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
तीन ब्लैकबकों का दूसरा पोस्टमॉर्टम बेंगलुरु के बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क से आए दो विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने रविवार को किया। टीम ने हिरणों को पिछले एक सप्ताह में दी गई खुराक के नमूने भी एकत्र किए हैं।
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि यदि शुरुआती लक्षणों को समय पर पहचाना जाता और संक्रमित हिरणों को तुरंत अलग किया जाता, तो मौतों की संख्या इतनी अधिक नहीं होती। नियमित स्वास्थ्य जांच और प्रारंभिक प्रतिक्रिया में ढिलाई को बड़ी लापरवाही माना जा रहा है।
काला हिरणों को करीब चार से पांच वर्ष पहले गदग जू से लाया गया था। इनकी उम्र वर्तमान में चार से छह वर्ष के बीच है। बढ़ती हुई मौतों और अधिकारियों के विरोधाभासी बयानों ने स्थिति को और संदिग्ध बना दिया है। फिलहाल, संक्रमण और विभागीय लापरवाही की जांच जारी है।