क्या कर्नाटक हाईकोर्ट ने विधायक केसी. वीरेंद्र की गिरफ्तारी को बरकरार रखा?

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क्या कर्नाटक हाईकोर्ट ने विधायक केसी. वीरेंद्र की गिरफ्तारी को बरकरार रखा?

सारांश

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने विधायक केसी. वीरेंद्र की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए उनकी पत्नी द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया। इस मामले ने मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोपों को उजागर किया है, जो एक बड़े सट्टेबाजी नेटवर्क से जुड़े हैं। जानिए पूरी कहानी में क्या हुआ?

Key Takeaways

  • कर्नाटक उच्च न्यायालय ने केसी. वीरेंद्र की गिरफ्तारी को बरकरार रखा।
  • ईडी की जांच में मनी लॉन्ड्रिंग और सट्टेबाजी का खुलासा हुआ।
  • लगभग 150 करोड़ रुपए की अवैध संपत्ति का पता लगाया गया।
  • वीरेंद्र को 23 अगस्त 2025 को गिरफ्तार किया गया।
  • अदालत ने ईडी की कार्रवाई को उचित ठहराया।

बेंगलुरु, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने चित्रदुर्ग जिले के विधायक के.सी. वीरेंद्र उर्फ पप्पी की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए उनकी पत्नी आर.डी. चैत्रा द्वारा दायर की गई रिट याचिका को खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता ने ईडी द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के तहत की गई गिरफ्तारी को अवैध, मनमाना और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी।

ईडी ने अपनी जांच में यह खुलासा किया कि केसी. वीरेंद्र और उनके सहयोगियों ने 'किंग567' जैसे अवैध ऑनलाइन और ऑफलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म का संचालन किया और इसके लिए फोनपैसा पेमेंट सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड जैसे पेमेंट गेटवे का उपयोग किया।

फर्जी कंपनियों और भारत, श्रीलंका, नेपाल तथा दुबई स्थित कैसीनो के माध्यम से भारी धनराशि का लेनदेन किया गया। ईडी की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि वीरेंद्र इस पूरे सट्टेबाजी और मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का मुख्य संचालक (किंगपिन) है। अब तक अपराध से अर्जित लगभग 150 करोड़ रुपए की संपत्ति का पता लगाया जा चुका है। ईडी ने वीरेंद्र को 23 अगस्त 2025 को सिक्किम के गंगटोक से गिरफ्तार किया था।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि केसी.वीरेंद्र के खिलाफ दर्ज अधिकांश एफआईआर बंद हो चुकी हैं या समझौते के जरिए निपटा दी गई हैं। केवल एक एफआईआर लंबित है, जो महज 30,000 रुपए के विवाद से संबंधित है और इसे एक दीवानी मामला मानते हुए ‘बी रिपोर्ट’ (क्लोजर रिपोर्ट) दायर की जा चुकी है। उनका कहना था कि न तो वीरेंद्र के खिलाफ फोनपैसा से कोई प्रत्यक्ष संबंध स्थापित हुआ है और न ही उनके खिलाफ सट्टेबाजी का कोई ठोस सबूत है। इसलिए यह गिरफ्तारी पीएमएलए की धारा 19 के तहत अवैध और अधिकार क्षेत्र से बाहर थी।

दूसरी ओर, ईडी की ओर से कर्नाटक के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ने अदालत के समक्ष जोरदार तर्क प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि 30,000 रुपए की शिकायत केवल एक 'छोटी झलक' है, जबकि जांच से एक बड़े अंतरराष्ट्रीय सट्टेबाजी रैकेट का खुलासा हुआ है।

एएसजी ने बताया कि पीएमएलए की धारा 2(1)(यू) के अनुसार 'अपराध से अर्जित संपत्ति' में केवल प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त रकम ही नहीं, बल्कि किसी भी आपराधिक गतिविधि से अप्रत्यक्ष रूप से अर्जित संपत्ति भी शामिल होती है। उन्होंने कहा कि साइबर धोखाधड़ी के मामलों में आमतौर पर बहुत कम पीड़ित शिकायत दर्ज कराते हैं, इसलिए एफआईआर संख्या 218/2022 केवल इस व्यापक आपराधिक नेटवर्क का एक उदाहरण है।

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पीएमएलए के तहत कार्यवाही तब तक जारी रह सकती है, जब तक कि ‘बी रिपोर्ट’ को न्यायिक रूप से स्वीकार नहीं किया जाता। उच्च न्यायालय ने पाया कि ईडी के पास मौजूद सामग्री से यह स्पष्ट है कि केसी. वीरेंद्र अवैध सट्टेबाजी ऐप्स के संचालन, जनता से धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल थे। अदालत ने माना कि ईडी के पास गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त 'विश्वास करने का कारण' था और हिरासत में पूछताछ फंड ट्रेल और विदेशी लिंक का पता लगाने के लिए आवश्यक थी।

न्यायालय ने कहा कि ईडी के कब्जे में मौजूद दस्तावेज और सबूत इस बात के लिए पर्याप्त हैं कि केसी. वीरेंद्र पीएमएलए, 2002 के तहत दंडनीय अपराधों में संलिप्त हैं। अदालत ने ईडी की कार्रवाई को उचित ठहराया और रिट याचिका को पूरी तरह से खारिज कर दिया।

Point of View

ताकि ऐसे अपराधियों पर सख्त कार्रवाई की जा सके।
NationPress
16/10/2025

Frequently Asked Questions

केसी. वीरेंद्र की गिरफ्तारी का कारण क्या है?
उनकी गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध सट्टेबाजी के आरोपों के आधार पर हुई है।
क्या उच्च न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी को सही माना?
हाँ, उच्च न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखा है।
ईडी की जांच में क्या पाया गया?
ईडी ने पाया कि वीरेंद्र और उनके सहयोगी अवैध सट्टेबाजी नेटवर्क का संचालन कर रहे थे।
यह मामला कितना बड़ा है?
यह मामला लगभग 150 करोड़ रुपए के मनी लॉन्ड्रिंग और अंतरराष्ट्रीय सट्टेबाजी रैकेट से जुड़ा है।
क्या वीरेंद्र के खिलाफ अन्य मामले भी हैं?
हाँ, उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज हैं, लेकिन अधिकांश मामले निपट चुके हैं।