क्या खरीफ फसलों के लिए कुल बुवाई क्षेत्र 89 लाख हेक्टेयर के पार पहुँच गया है?

सारांश
Key Takeaways
- खरीफ फसलों की बुवाई क्षेत्र में वृद्धि
- किसानों की आय में सुधार
- खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद
- बेहतर मानसूनी बारिश का प्रभाव
- सरकार का न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि का निर्णय
नई दिल्ली, 17 जून (राष्ट्र प्रेस) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष खरीफ फसलों की बुवाई का क्षेत्र बढ़कर 89.29 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि पिछले वर्ष इसी समय यह 87.81 लाख हेक्टेयर था।
सीजन के आरंभ में 1.48 लाख हेक्टेयर की वृद्धि एक सकारात्मक संकेत है, जो किसानों की आय में सुधार और खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने में सहायक होगी।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, चावल की बुवाई 13 जून तक 4.53 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गई है, जो पिछले वर्ष इसी समय 4 लाख हेक्टेयर थी।
उड़द और मूंग जैसी दालों की बुआई 3.07 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गई है, जबकि पिछले वर्ष यह 2.6 लाख हेक्टेयर था। इस वृद्धि का अर्थ है कि दालों के उत्पादन में होने वाली वृद्धि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण है।
इस वर्ष तिलहन का रकबा भी 1.5 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2.05 लाख हेक्टेयर हो गया है।
ज्वार, बाजरा और रागी जैसे मोटे अनाजों का रकबा अब तक 5.89 लाख हेक्टेयर तक पहुँच चुका है।
इस सीजन में बुआई में वृद्धि का मुख्य कारण बेहतर मानसूनी बारिश है, जिसने देश के असिंचित क्षेत्रों में बुआई को सुगम बना दिया है, जो कि देश की कृषि भूमि का लगभग 50 प्रतिशत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 28 मई को विपणन सत्र 2025-26 के लिए 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को स्वीकृति दी, जिससे उत्पादकों को लाभकारी मूल्य मिल सके और उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा सके।