क्या आपराधिक छवि वाले लोगों को संवैधानिक पद से हटाने वाला बिल उचित है?

सारांश
Key Takeaways
- संविधान की रक्षा आवश्यक है।
- दुरुपयोग की आशंका को गंभीरता से लेना चाहिए।
- विपक्ष की आवाज़ को सुनना जरूरी है।
नई दिल्ली, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। संसद का मानसून सत्र अपने अंतिम चरण में है। बुधवार को सरकार ने संसद में एक महत्वपूर्ण बिल पेश किया, जिसके तहत यदि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को एक महीने तक जेल में रहना पड़ता है, तो उसे इस्तीफा देना होगा। विपक्ष इस बिल का विरोध कर रहा है और आशंका जता रहा है कि सरकार इसका दुरुपयोग कर सकती है।
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "यह एकदम कठोर है, क्योंकि यह हर चीज के खिलाफ है। इसे भ्रष्टाचार विरोधी उपाय कहना लोगों की आंखों में धूल झोंकने जैसा है। भविष्य में किसी भी मुख्यमंत्री पर कोई भी मामला लगाया जा सकता है, जिससे उन्हें बिना दोष सिद्धि के 30 दिनों के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है। यह पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है।"
कांग्रेस सांसद चमाला किरण कुमार रेड्डी ने कहा, "हमें इस विधेयक को पास करने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इसके प्रावधानों पर चर्चा होना जरूरी है। यदि यह विधेयक स्वतंत्र भारत और लोकतंत्र की रक्षा के लिए लाया जाता है, तो हम इसका समर्थन करेंगे।"
कांग्रेस सांसद उज्ज्वल रमन सिंह का कहना है, "हमने अभी तक विधेयक का पूरा मसौदा नहीं देखा है। इसकी समीक्षा के बाद ही हम इस पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे।"
समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव राय ने कहा, "यह सरकार लोकतंत्र की हत्या कर रही है। केंद्र सरकार ने जिन व्यक्तियों का नाम लेकर जेल जाने की बात की थी, उन लोगों को मंत्री बना दिया। पहले उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए। यह कानून लोकतंत्र के खिलाफ एक गहरी और खतरनाक साजिश है।"
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "यह विधेयक असंवैधानिक है। प्रधानमंत्री को कौन गिरफ्तार करेगा? भाजपा सरकार इन विधेयकों के जरिए हमारे देश को पुलिस राज्य बनाना चाहती है। हम इसका विरोध करेंगे।"
सीपीआई (एम) के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने कहा, "इन तीनों विधेयकों का उद्देश्य देश में विपक्षी सरकार को बाधित करना है। पहले से ही प्रतिशोधात्मक राजनीति को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह विधेयक संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ है।"