क्या भाजपा शासित सरकारों का रवैया दलित विरोधी है? प्रमोद तिवारी का बयान

सारांश
Key Takeaways
- भाजपा का दलित समुदाय के प्रति रवैया असुरक्षात्मक है।
- कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
- सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को दमनकारी नीति माना गया।
- राजस्थान में अस्पताल में आग की घटना पर भी सवाल उठाए गए।
लखनऊ, 6 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने उत्तर प्रदेश के रायबरेली में एक दलित युवक की बर्बरता से हत्या के मामले में कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जहां भी भाजपा की सरकार है, वहां दलित समुदाय के लोग सुरक्षित नहीं रह सकते।
प्रमोद तिवारी ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा कि भाजपा शासित सरकारों का रवैया दलित समुदाय के प्रति सुरक्षात्मक नहीं है। यह सरकार दमनकारी नीति अपनाकर समाज के इस वर्ग को दबाने की कोशिश कर रही है, जिसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने इस हत्या के मामले में कई सवाल उठाते हुए पूछा कि उस युवक का कसूर क्या था कि उसे इस तरह से जान से हाथ धोना पड़ा? क्या सिर्फ इसलिए कि वह दलित था या उसने राहुल गांधी का नाम लिया?
वर्तमान में उत्तर प्रदेश में दलित समुदाय के लोग असुरक्षित हैं, जिससे कानून-व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल उठते हैं।
कांग्रेस नेता ने एसआईआर के संबंध में भी अपनी चिंता जताई और कहा कि इसमें गलत व्यवहार हुआ है। कई योग्य मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं।
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को लेकर उन्होंने कहा कि वे लगातार लद्दाख के युवाओं की समस्याओं को उठाते रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने उनकी आवाज को दबाने के लिए उन्हें गिरफ्तार किया।
प्रमोद तिवारी ने स्पष्ट किया कि लद्दाख में सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी से समस्याओं का समाधान नहीं होगा। लद्दाख के लोग लंबे समय से पूर्ण राज्य का दर्जा मांग रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा की तानाशाही अपने चरम पर है। लद्दाख के लोग शांति से रहना चाहते हैं, लेकिन सरकार उन्हें गुमराह कर रही है।
जयपुर के अस्पताल में लगी आग पर भी प्रमोद तिवारी ने सवाल उठाते हुए कहा कि राजस्थान में कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहद खराब है। सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है। अस्पताल में जिन लोगों की मौत हुई, उनका कसूर क्या था?
वास्तव में, भाजपा के राज में हर जगह यही स्थिति है। भाजपा शासित राज्यों में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है। राजस्थान में बच्चों को जहर पिलाया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मासूम भी सुरक्षित नहीं हैं।