क्या देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजीत पवार मिलकर फंड पर निर्णय लेते हैं?
सारांश
Key Takeaways
- अजीत पवार का बयान विवाद का कारण बना है।
- फंड का निर्णय देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे, और अजीत पवार मिलकर लेते हैं।
- विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की है।
- राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ तेज हो गई हैं।
- पंचायत चुनाव में यह मामला महत्वपूर्ण हो सकता है।
भंडारा, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के एक बयान ने विवाद उत्पन्न कर दिया है। मालेगांव में एक जनसभा में उन्होंने कहा कि यदि आप सभी 18 एनसीपी उम्मीदवारों को जीताते हैं, तो मैं सुनिश्चित करूंगा कि धन की कोई कमी न हो। यदि आप सभी 18 उम्मीदवारों को चुनते हैं, तो मैंने जो भी वादा किया है, उसे पूरा करूंगा, लेकिन यदि आप वोट नहीं देंगे, तो मैं भी फंड नहीं दूंगा।
अजीत पवार ने आगे कहा कि आपके पास वोट हैं और मेरे पास धन है। उन्होंने जनसभा में उपस्थित लोगों से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सभी 18 उम्मीदवारों का समर्थन करने का आग्रह किया। उनका यह बयान सामने आने के बाद महाराष्ट्र में विवाद गहरा गया है। पंचायत चुनाव को लेकर विपक्षी दलों ने हमलावर रुख अपनाया और चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की।
इसी बीच, महाराष्ट्र सरकार के मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने अजीत पवार के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें नहीं पता कि अजीत पवार ने यह बयान किस संदर्भ में दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे, और अजीत पवार मिलकर ही फंड पर निर्णय लेते हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार के प्रमुख देवेंद्र फडणवीस हैं और फंड के संबंध में कोई भी निर्णय ये तीनों मिलकर करते हैं। महायुति की सरकार में सभी का इस पर अधिकार है। चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि उन्हें यह नहीं पता कि अजीत पवार ने किस संदर्भ में यह बात कही, परंतु सरकार में ऐसी ही व्यवस्था है।
वहीं, एनसीपी (एसपी) के राष्ट्रीय सचिव क्लाइड क्रैस्टो ने पलटवार करते हुए कहा कि अजीत पवार एक बुद्धिमान और समझदार व्यक्ति हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा के साथ जाने के बाद उनका व्यवहार और सोच भाजपा जैसी हो गई है। उन्हें समझना चाहिए कि चुनाव जीतने के बाद वह केवल एक पार्टी के नहीं रह जाते। जहां तक फंड का सवाल है, वह उनकी पार्टी का नहीं है।