क्या 'एक देश, एक चुनाव' संघीय ढांचे के खिलाफ है?: सुशील गुप्ता

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क्या 'एक देश, एक चुनाव' संघीय ढांचे के खिलाफ है?: सुशील गुप्ता

सारांश

आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने 'एक देश, एक चुनाव' के खिलाफ अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि यह संघीय ढांचे को कमजोर करेगा और लोकतंत्र को खतरे में डालेगा। क्या यह प्रस्ताव देश के लिए सही है? जानें इस विषय पर उनके विचार।

Key Takeaways

  • 'एक देश, एक चुनाव' का प्रस्ताव संघीय ढांचे के खिलाफ है।
  • यह क्षेत्रीय भावनाएं कमजोर कर सकता है।
  • बाबा साहेब आंबेडकर का कानून का शासन का सिद्धांत महत्वपूर्ण है।
  • लोकतंत्र की विविधता को बनाए रखना जरूरी है।
  • जनगणना में शिक्षकों की भागीदारी विवादास्पद हो सकती है।

चंडीगढ़, 16 जून (राष्ट्र प्रेस)। आम आदमी पार्टी की हरियाणा इकाई के प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हमारी पार्टी शुरू से ही 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का विरोध करती आई है और आगे भी करती रहेगी।

सुशील गुप्ता ने कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इससे क्षेत्रीय भावनाएं कमजोर होंगी, विकास की गति धीमी होगी और केवल धन और बाहुबल का इस्तेमाल होगा।

उन्होंने कहा कि बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर ने संसद के गठन से पहले कहा था कि हम देशभर में कानून का शासन सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान के मूल ढांचे में परिवर्तन नहीं करेंगे।

उन्होंने कहा कि 'एक देश, एक चुनाव' की परिकल्पना संविधान के मूल ढांचे के साथ खिलवाड़ है। ऐसा करके धीरे-धीरे देश को राष्ट्रपति शासन की ओर ले जाने की कोशिश की जाएगी। लेकिन, हम ऐसा किसी भी कीमत पर नहीं होने देंगे।

उन्होंने कहा कि आज की तारीख में हमारे देश का लोकतंत्र पूरी दुनिया में अपनी विविधता के लिए पहचाना जाता है। हमारे यहां विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के लोग रहते हैं। लेकिन, ये लोग अब इसे खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। ये लोग अब देश के लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश में जुट चुके हैं। इसके लिए इन लोगों ने पूरी पटकथा भी लिख ली है, जिसके तहत ये लोग सभी प्रक्रियाओं को अंजाम दे रहे हैं। लेकिन, हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी देश के लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ न कर सके।

उन्होंने कहा कि हमने तो यह पहले भी कहा था कि चुनाव में जो पैसा खर्च होता है, उसमें कुछ प्रतिशत जीएसटी और इनकम टैक्स लगाकर वापस सरकार के पास चला जाता है। आज जरूरत है कि देश के कानून के तहत चुनाव हो, चुनाव सुधार की प्रक्रिया चले, लेकिन उस तरफ देश का ध्यान भ्रमित करने के लिए शिगूफा छोड़ा जाता है।

जनगणना की अधिसूचना जारी होने पर उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर जनगणना होनी चाहिए। लेकिन, इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि इस काम में शिक्षकों को संलिप्त नहीं किया जाए।

Point of View

यह स्पष्ट है कि लोकतंत्र की विविधता और संघीय ढांचे की मजबूती हमारे देश की पहचान है। 'एक देश, एक चुनाव' की अवधारणा को सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। यह जरूरी है कि हम अपने लोकतंत्र की रक्षा करें और सभी आवाजों को सुनें।
NationPress
19/06/2025

Frequently Asked Questions

क्या 'एक देश, एक चुनाव' से लोकतंत्र प्रभावित होगा?
हाँ, सुशील गुप्ता के अनुसार, यह संघीय ढांचे को कमजोर करेगा और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
क्या इस प्रस्ताव का किसी ने समर्थन किया है?
इस प्रस्ताव के समर्थन में कई राजनीतिक दल हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी ने इसका कड़ा विरोध किया है।
सुशील गुप्ता ने जनगणना पर क्या कहा?
उन्होंने कहा कि जनगणना होनी चाहिए, लेकिन शिक्षकों को इसमें संलिप्त नहीं किया जाना चाहिए।