क्या मालेगांव विस्फोट मामले में सरकार अपील करेगी? असदुद्दीन ओवैसी ने उठाए सवाल

सारांश
Key Takeaways
- असदुद्दीन ओवैसी का बयान महत्वपूर्ण है।
- सरकार की अपील के धार्मिक आधार पर सवाल उठाया गया है।
- सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।
- आधिकारिक जवाबदेही का मुद्दा सामने आया है।
- आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की मौलिकता पर ध्यान दिया गया है।
नई दिल्ली, 24 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। एआईएमआईएम के नेता और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। ओवैसी ने कहा है कि आतंकवाद का सफाया होना चाहिए, लेकिन यदि सरकार आरोपियों के धर्म के आधार पर अपील करती है, तो यह लड़ाई एक समझौता बन जाएगी।
ओवैसी ने गुरुवार को मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में महाराष्ट्र सरकार के रुख पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने संसद के बाहर मीडिया से बातचीत में कहा, "हम भाजपा, केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार से पूछना चाहते हैं कि यदि मालेगांव विस्फोट मामले में अदालत आरोपियों को बरी कर देती है, तो क्या वे इसके खिलाफ अपील करेंगे?"
ओवैसी ने यह भी सवाल उठाया, "2008 में मक्का मस्जिद में एक विस्फोट हुआ था, जिसमें 9 लोगों की मृत्यु हुई। इस मामले में अपील नहीं की गई। भाजपा सरकार ने वहाँ अपील क्यों नहीं की? वे अजमेर विस्फोट मामले में भी अपील नहीं करते हैं।"
इसके अलावा, ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के मुंबई ट्रेन ब्लास्ट में बरी किए गए आरोपियों पर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। सरकार ने जल्दबाजी में अपील की, लेकिन मक्का मस्जिद और अजमेर ब्लास्ट में नहीं की। यदि मालेगांव केस में भी आरोपी बरी हो जाएं तो क्या अपील करेंगे? यही असली पैमाना है।"
यह प्रतिक्रिया असदुद्दीन ओवैसी की सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आई है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के मुंबई ट्रेन बम विस्फोट मामले में सभी 12 आरोपियों को बरी करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि जेल से बाहर आ चुके आरोपियों पर फैसले का असर नहीं होगा। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने आरोपियों के खिलाफ एक नोटिस भी जारी किया है।