क्या नींद के लिए ली जाने वाली गोलियां आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकती हैं? : अध्ययन
                                सारांश
Key Takeaways
- नींद की गोलियों पर निर्भरता से बचें।
 - बुजुर्गों के लिए सीबीटी-आई एक बेहतर विकल्प है।
 - गिरने का जोखिम 9 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
 - नींद की गोलियों का सेवन बंद करने से जीवनकाल में वृद्धि संभव है।
 - शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार संभव है।
 
नई दिल्ली, 3 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। जो गोलियां आप अच्छी नींद के लिए लेते हैं, वे आपकी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। द लैंसेट रीजनल हेल्थ अमेरिकाज में प्रकाशित एक नवीनतम अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि यदि अधेड़ और बुजुर्ग नींद की गोलियों का सेवन बंद कर दें, तो उनका बुढ़ापा अधिक सुखद हो सकता है।
शोधकर्ताओं ने यह पाया कि नींद की गोलियों का उपयोग समाप्त करने से गिरने का जोखिम लगभग 9 प्रतिशत कम हो सकता है, सोचने-समझने की क्षमता में वृद्धि हो सकती है और औसतन एक महीने से अधिक जीवनकाल बढ़ सकता है। इस बदलाव से हेल्थकेयर और दवाओं पर होने वाले हजारों डॉलर की बचत भी संभव है।
'यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया' के 'शेफर सेंटर फॉर हेल्थ पॉलिसी एंड इकोनॉमिक्स' के हेनके हेवन जॉनसन के नेतृत्व में यह शोध किया गया। इस अध्ययन में नींद की दवाओं पर निर्भरता कम करने के लाभों पर जोर दिया गया।
जॉनसन ने बताया कि बुजुर्गों में नींद की गोलियों का कम उपयोग उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत में सुधार कर सकता है, जिससे वे एक सक्रिय जीवन का आनंद ले सकते हैं।
अध्ययन के अनुसार, 50 वर्ष और उससे अधिक आयु के 15 मिलियन से अधिक अमेरिकी नियमित रूप से नींद की गोलियों का सेवन करते हैं। यह तब होता है जब लंबे समय तक उपयोग के हानिकारक प्रभावों के प्रति लगातार चिकित्सा चेतावनियाँ दी जाती रही हैं।
नींद की समस्या 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग आधे लोगों में देखने को मिलती है और यह अक्सर डिप्रेशन, एंग्जायटी, दिल की बीमारी और डिमेंशिया जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ी होती है। हालांकि, शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि नींद की गोलियों का दीर्घकालिक उपयोग नींद में चलने, बुरे सपनों और गिरने की घटनाओं को बढ़ा सकता है।
'फेडरल हेल्थ एंड रिटायरमेंट स्टडी' के डेटा का विश्लेषण किया गया। अध्ययन में पाया गया कि ट्रायल में सबसे अधिक सुधार 65 से 74 वर्ष की आयु के प्रतिभागियों में देखा गया।
इस आयु वर्ग के लोगों ने जब नींद की गोलियां छोड़ीं, तो न केवल उनकी शारीरिक स्थिति में सुधार हुआ, बल्कि मानसिक स्थिति भी स्पष्ट रूप से बेहतर हुई और उनकी आयु भी बढ़ी।
विशेषज्ञों ने नींद की समस्या के लिए कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी-आई) को दवा का अधिक प्रभावी और सुरक्षित विकल्प बताया है।
वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ. जेसन और उनकी टीम ने बताया कि यह थेरेपी नींद से जुड़े व्यवहार और सोचने के तरीकों में बदलाव पर केंद्रित होती है, जिससे नींद की गोलियों से जुड़े साइड इफेक्ट्स नहीं होते और व्यक्ति को लंबे समय तक आराम मिलता है।
ये निष्कर्ष नींद न आने की समस्या को प्रबंधित करने के लिए नींद की गोलियों पर निर्भर रहने के संभावित खतरों को उजागर करते हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि बुजुर्ग दवाओं पर निर्भरता कम कर अपने चिकित्सकों या हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स से सीबीटी-आई जैसी वैकल्पिक थेरेपी के बारे में चर्चा करें। इसमें निश्चित रूप से उन्हें लाभ होगा।