क्या राहुल गांधी का अदालत और चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं है?

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी का अदालतों और चुनाव आयोग पर विश्वास नहीं है।
- केसी त्यागी ने राहुल के बयानों को भ्रामक कहा।
- जांच एजेंसियों को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाना चाहिए।
- तेजस्वी यादव के दावे को चुनाव आयोग ने नकारा।
- सैनिकों की वीरता पर सवाल नहीं उठाना चाहिए।
नई दिल्ली, 2 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। जनता दल यूनाइटेड के प्रमुख नेता केसी त्यागी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तीखा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को न तो भारत की अदालतों पर विश्वास है और न ही चुनाव प्रक्रिया पर। यही कारण है कि वह लगातार चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हैं।
केसी त्यागी ने राहुल गांधी के हाल के बयानों को भ्रामक और नकारात्मक बताया और कहा कि वह 'एक्स्ट्रा-कॉन्स्टिट्यूशनल फ्रेमवर्क' के तहत काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "राहुल गांधी न तो चुनाव आयोग में विश्वास रखते हैं, न ही अदालतों में और न ही स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया में।"
केसी त्यागी ने रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई का उल्लेख करते हुए कहा कि जांच एजेंसियां स्वतंत्र रूप से काम कर रही हैं और यह कोई नई बात नहीं है। उन्हें बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के काम करने दिया जाना चाहिए।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली पर दिए गए बयानों का उल्लेख करते हुए जदयू के केसी त्यागी ने कहा कि अरुण जेटली के बेटे ने पहले ही जवाब दिया है कि किसान आंदोलन से संबंधित बातचीत अरुण जेटली के निधन के बाद शुरू हुई थी। इसीलिए राहुल गांधी का बयान तथ्यात्मक रूप से गलत है।
उन्होंने आगे कहा कि पहलगाम की घटना के बाद कुछ राजनीतिक दलों और नेताओं ने जिस तरह का नकारात्मक रवैया अपनाया है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। हमारे सैनिकों, उनकी वीरता या साहस पर कोई सवाल नहीं उठाना चाहिए।
प्रज्वल रेवन्ना मामले में उन्होंने कहा कि मैं ऐसे सभी अदालती फैसलों का स्वागत करता हूं, जो एक नारी के सम्मान से जुड़े हों।
वहीं राजद नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया था कि उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। इस पर केसी त्यागी ने कहा कि चुनाव आयोग ने पहले ही तेजस्वी के दावे को नकारा दिया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि तेजस्वी का नाम मतदाता सूची में 440वें स्थान पर है। इस तरह के आधारहीन आरोप लगाना गलत है।