क्या शिवसेना (यूबीटी) मनसे को दरकिनार कर जश्न मना रही है? थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी पर उदय सामंत का बयान

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क्या शिवसेना (यूबीटी) मनसे को दरकिनार कर जश्न मना रही है? थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी पर उदय सामंत का बयान

सारांश

उदय सामंत ने थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी पर अपनी राय दी है। उन्होंने कहा कि 'म' का मतलब मराठी नहीं, बल्कि महानगर पालिका है। क्या शिवसेना (यूबीटी) मनसे को दरकिनार कर जश्न मना रही है? जानें पूरी कहानी।

Key Takeaways

  • थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी पर विवाद बढ़ता जा रहा है।
  • उदय सामंत ने इसे राजनीतिक मुद्दा बताया।
  • मनसे और यूबीटी के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है।
  • राज ठाकरे का विरोध प्रदर्शन योजना बनाई गई थी।
  • समिति की रिपोर्ट आने तक हिंदी को लागू करने का आदेश वापस लिया गया है।

मुंबई, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्कूलों में लागू की गई थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी (तीन भाषा नीति) को वापस लेने पर उद्योग एवं मराठी भाषा मंत्री उदय सामंत ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ‘म’ का मतलब मराठी नहीं बल्कि महानगर पालिका से था।

उदय सामंत ने सोमवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, "आपको अब तक समझ आ गया होगा कि यह वर्चस्व की लड़ाई है। अगर आप हाल ही में मराठी लोगों की ट्रोलिंग देखें तो उसमें साफ लिखा है कि 'म’ का मतलब मराठी नहीं बल्कि महानगर पालिका है। अब जनता यह समझ रही है कि यह सब राजनीतिक मुद्दा था। राज ठाकरे के नेतृत्व में मनसे ने पहले ही विरोध के संकेत दे दिए थे। बाद में यूबीटी भी इसमें शामिल हो गई। अब मनसे को दरकिनार कर वे तथाकथित जीत का जश्न मना रहे हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "हिंदी भाषा के विषय में साल 2022 में डॉ. मशालकर की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी ने 12वीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य किया था, और इसके अध्यक्ष तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे थे, जिन्होंने ये प्रस्ताव स्वीकार किया।"

मंत्री उदय सामंत ने आदित्य ठाकरे के 'दो भाइयों के एक साथ आने' वाले बयान पर पुराने बयान याद दिलाए। उन्होंने कहा, "जो पार्टी पहले ही खत्म हो चुकी है, उसे शामिल करने की कोई जरूरत नहीं है, और यह बात दो साल पहले किसी ने कही थी। मनसे की इतनी आलोचना हुई, लोगों ने कहा कि मनसे की कोई जरूरत नहीं है और उनका (मनसे) कोई वजूद ही नहीं है। यह किसने कहा? यह हमने नहीं कहा। मैं इतना ही कहूंगा कि हमने पहले भी राज ठाकरे का आदर किया है और आगे भी करते रहेंगे।"

बता दें कि राज ठाकरे ने महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी थोपे जाने के फैसले के खिलाफ 5 जुलाई को मार्च निकालने की योजना बनाई थी। इस मार्च को उनके भाई उद्धव ठाकरे का भी समर्थन मिला था। हालांकि, सरकार ने तीसरी भाषा के रूप में प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को लागू करने का आदेश वापस ले लिया है।

महाराष्ट्र में त्रिभाषी नीति पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए पूर्व योजना आयोग के सदस्य नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन की घोषणा की गई है। समिति की रिपोर्ट आने तक तीसरी भाषा के रूप में प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को लागू करने का आदेश वापस ले लिया गया है।

Point of View

बल्कि भाषाई पहचान का भी है। ऐसे में यह दावा करना कि हिंदी थोपने का निर्णय केवल एक राजनैतिक चाल है, यह दर्शाता है कि महाराष्ट्र की राजनीति में भाषाई मुद्दे का कितना महत्व है। सभी पक्षों को एक साथ मिलकर इस मुद्दे का हल निकालना चाहिए।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी क्या है?
यह नीति स्कूलों में तीन भाषाओं के अध्ययन को अनिवार्य बनाती है।
उदय सामंत का क्या कहना है?
उन्होंने कहा कि 'म' का मतलब मराठी नहीं, महानगर पालिका है।
राज ठाकरे का इस मुद्दे पर क्या रुख है?
उन्होंने विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था।