क्या लक्ष्मेश्वर राय ने राजद में शामिल होकर जेडीयू को कमजोर कर दिया?

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क्या लक्ष्मेश्वर राय ने राजद में शामिल होकर जेडीयू को कमजोर कर दिया?

सारांश

पटना में राजनीतिक हलचल ने नया मोड़ लिया है जब लक्ष्मेश्वर राय ने राजद में शामिल होकर जेडीयू पर सवाल उठाए। उनके इस कदम से महागठबंधन में नई जान आई है, और यह राज्य में बदलाव की आवश्यकता को दर्शाता है। जानें इस बदलाव के पीछे की कहानी और इसका बिहार की राजनीति पर प्रभाव।

Key Takeaways

  • लक्ष्मेश्वर राय का राजद में शामिल होना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम है।
  • जेडीयू में दलितों और पिछड़ों की सुनवाई नहीं हो रही है।
  • तेजस्वी यादव अति पिछड़ों और पिछड़ों के लिए प्रतिबद्ध हैं।
  • महागठबंधन में एकजुटता है और यह बदलाव की प्रतीक है।
  • बिहार में आगामी चुनावों में बदलाव की उम्मीद है।

पटना, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार की राजनीति में चुनावी हलचल तेज होते ही दल-बदल का सिलसिला भी आरंभ हो गया है। बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और जेडीयू के प्रमुख नेता लक्ष्मेश्वर राय ने एक बार फिर से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को अपना नया ठिकाना बना लिया है। उनके पार्टी में शामिल होने से महागठबंधन के खेमे में ख़ुशियाँ छा गई हैं।

राजद में शामिल होने के बाद लक्ष्मेश्वर राय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू पर कड़ा हमला करते हुए कहा, “जेडीयू में अब दलितों और पिछड़ों की कोई सुनवाई नहीं होती। पार्टी अब पहले जैसी नहीं रही। तेजस्वी यादव अति पिछड़ों और पिछड़ों के अधिकारों की रक्षा के लिए संकल्पित हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में बढ़ते भ्रष्टाचार और तानाशाही के माहौल से जनता बदलाव की मांग कर रही है। लोगों ने तय कर लिया है कि इस बार सरकार बदलनी चाहिए। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में हम बिहार के विकास में योगदान देंगे। अगर पार्टी चाहेगी, तो हम चुनाव में ज़रूर भाग लेंगे।

राजद के राष्ट्रीय महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी ने इस अवसर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “कारवां आगे बढ़ रहा है। हम सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। लक्ष्मेश्वर राय कर्पूरी ठाकुर के अनुयायी रहे हैं और अब हमारी मुहिम को मजबूत करने के लिए हमारे साथ आए हैं।”

सिद्दीकी ने आगे कहा कि आने वाले दिनों में और भी नेता राजद में शामिल होंगे, क्योंकि जनता अब बदलाव चाहती है। उन्होंने कहा, “तेजस्वी यादव की हर घर नौकरी जैसी घोषणाएं सिर्फ नारे नहीं हैं, बल्कि ये वादे हैं जिन्हें हमारी सरकार बनने के बाद साकार किया जाएगा। हम जो कहते हैं, उसे हम पूरा करते हैं।”

इस बीच, बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ‘इंडिया गठबंधन’ में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि “सीटों पर चर्चा जारी है लेकिन कोई विवाद नहीं है। एक-दो सीटों को लेकर बातचीत चल रही है, लेकिन जल्द ही सब कुछ स्पष्ट कर दिया जाएगा।”

उन्होंने दावा किया कि महागठबंधन पूरी तरह से एकजुट है, जबकि एनडीए में मतभेद उभरने लगे हैं। मांझी नाराज हैं और चिराग पासवान चुप हैं। इसके विपरीत, महागठबंधन में सब कुछ सही है। मुख्यमंत्री का चेहरा तेजस्वी यादव हैं और उनके अलावा कोई विकल्प नहीं है।

Point of View

लक्ष्मेश्वर राय का राजद में शामिल होना बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण संकेत है। यह दर्शाता है कि जनता बदलाव चाहती है और महागठबंधन के नेता एकजुट हो रहे हैं। आगामी चुनावों में यह बदलाव राजनीतिक परिदृश्य को नई दिशा दे सकता है।
NationPress
09/10/2025

Frequently Asked Questions

लक्ष्मेश्वर राय ने क्यों जेडीयू छोड़ा?
लक्ष्मेश्वर राय ने जेडीयू में दलितों और पिछड़ों की अनसुनी होने का आरोप लगाया और राजद में शामिल होकर बदलाव की उम्मीद जताई।
राजद में शामिल होने से क्या बदलाव आएगा?
राजद में लक्ष्मेश्वर राय की शामिल होने से महागठबंधन को नई ताकत मिलेगी और यह बिहार की राजनीति में बदलाव की संभावना को बढ़ाएगा।
तेजस्वी यादव की क्या भूमिका है?
तेजस्वी यादव अति पिछड़ों और दलितों के अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध हैं और उनके नेतृत्व में महागठबंधन विकास की दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है।
बिहार विधानसभा चुनाव में क्या अपेक्षाएँ हैं?
महागठबंधन एकजुट है और लोगों में बदलाव की इच्छा है, जिससे आगामी चुनावों में दिलचस्पी बढ़ गई है।
अखिलेश प्रसाद सिंह ने सीट बंटवारे पर क्या कहा?
अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि सीटों पर चर्चा हो रही है लेकिन कोई विवाद नहीं है। जल्द ही सभी मुद्दे स्पष्ट होंगे।