क्या लांस नायक करम सिंह की कहानी साहस और देशभक्ति की अमर कथा है?

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क्या लांस नायक करम सिंह की कहानी साहस और देशभक्ति की अमर कथा है?

सारांश

लांस नायक करम सिंह की प्रेरणादायक कहानी, जो साहस और बलिदान का प्रतीक है। उनकी वीरता ने भारत-पाक युद्ध में अद्वितीय योगदान दिया। जानिए कैसे एक साधारण किसान ने दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया और देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया।

Key Takeaways

  • साहस और समर्पण से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है।
  • लांस नायक करम सिंह का बलिदान देश के प्रति प्रेरणा है।
  • युवाओं को वीरता और धैर्य का महत्व समझना चाहिए।
  • करम सिंह की कहानी हमें राष्ट्रीयता की भावना से जोड़ती है।
  • वे पंजाब के गौरव और भारतीय सेना के नायक हैं।

नई दिल्ली, 14 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। लांस नायक करम सिंह पंजाब की माटी से निकले उन अनगिनत योद्धाओं में से एक थे, जिन्होंने देश की रक्षा में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उनकी वीरता की गाथा न केवल 1947-48 के भारत-पाक युद्ध में तिथवाल की लड़ाई में गूंजी, बल्कि आज भी हर भारतीय के दिल में देशभक्ति की अलख जगाती है।

लांस नायक करम सिंह का जन्म 15 सितंबर 1915 को पंजाब के बरनाला जिले के एक किसान परिवार में हुआ था। बचपन से ही वे मजबूत इच्छाशक्ति वाले थे। छह साल की उम्र में उन्हें स्कूल भेजा गया, लेकिन पढ़ाई में उनकी रुचि कम थी। इसलिए, उनके पिता ने उन्हें खेतों में काम पर लगा दिया।

युवावस्था में वे मजदूरी करने लगे। हालांकि, वे पिता की तरह किसान ही बनना चाहते थे। भविष्य में आगे क्या करना है, उन्होंने इसके बारे में नहीं सोचा था। हालांकि, किसी ने तब यह नहीं सोचा था कि किसान बनने की रूचि रखने वाला यह लड़का एक दिन दुश्मन देश पाकिस्तान के दांत खट्टे कर देगा।

15 सितंबर 1941 का वो दिन जब करम सिंह भारतीय सेना में भर्ती हुए। सेना में रहते हुए उन्होंने अपनी बहादुरी का परिचय कई बार दिया था। लेकिन, 13 अक्टूबर 1948 की तारीख इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई। पाकिस्तान के साथ इस युद्ध में उन्होंने दुश्मन देश की नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया। कहा जाता है कि इस युद्ध में जब उनके पास गोलियां खत्म हो गईं तो उन्होंने फिर भी हार नहीं मानी और खंजर से दुश्मन पर हमला कर उन्हें खदेड़ दिया, जिसमें कई पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। उनके इस साहस ने दुश्मन को इतना हतोत्साहित किया कि वे पीछे हट गए।

लांस नायक करम सिंह की इस वीरता के लिए साल 1950 में उन्हें परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया। वे यह सम्मान प्राप्त करने वाले दूसरे योद्धा थे।

सेना से रिटायर होने के बाद वे अपने गांव लौट आए। उन्होंने अपने परिवार के साथ बाकी का समय गुजारा।

करम सिंह की यह गाथा पंजाब के गौरव और देश की सेवा में उनके बलिदान को अमर बनाती है। उनकी कहानी युवाओं को सिखाती है कि साहस और समर्पण से कोई भी चुनौती छोटी हो जाती है।

Point of View

जो हमें हमारे सच्चे नायकों की पहचान कराती है।
NationPress
14/09/2025

Frequently Asked Questions

लांस नायक करम सिंह का जन्म कब हुआ?
लांस नायक करम सिंह का जन्म 15 सितंबर 1915 को पंजाब के बरनाला जिले में हुआ।
लांस नायक करम सिंह को कौन सा पुरस्कार मिला?
उन्हें 1950 में परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
करम सिंह ने किस युद्ध में वीरता दिखाई?
उन्होंने 1947-48 के भारत-पाक युद्ध में तिथवाल की लड़ाई में वीरता दिखाई।
उनकी कहानी का क्या महत्व है?
उनकी कहानी युवाओं को साहस और समर्पण का महत्व सिखाती है।
करम सिंह का परिवार कौन था?
वे एक किसान परिवार से थे और बाद में अपने गांव लौट आए।