क्या मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने पीएम मोदी के जन औषधि केंद्रों की प्रशंसा की?
सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मोदी ने जन औषधि केंद्रों के माध्यम से सस्ती दवाएं उपलब्ध कराईं।
- राज्यपाल पटेल ने विद्यार्थियों को कर्म और परिश्रम का महत्व बताया।
- शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं, बल्कि समाज के विकास में योगदान देना है।
- आयुर्वेद चिकित्सा में नए अवसर पैदा हुए हैं।
- विद्यार्थियों को उद्यमिता और सामाजिक सरोकारों में भागीदारी के लिए प्रेरित किया गया।
भोपाल, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने एक निजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लिया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन औषधि केंद्रों के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं कम कीमतों पर उपलब्ध कराईं। पटेल ने यह भी कहा कि जो नसीब में है, वह मिलता है, लेकिन अपने कर्म और मेहनत से जो हासिल होता है, उसमें ही सच्चा आनंद और आत्मिक संतोष है।
उन्होंने छात्रों से कहा कि दीक्षांत शपथ उनके व्यवहार की मार्गदर्शिका है। इसके अनुसार 365 दिन अच्छे आचरण से जीवन में सफलता मिलना निश्चित है।
राज्यपाल पटेल ने जन औषधि केंद्रों की स्थापना से हुए लाभ पर चर्चा करते हुए कहा कि कई बार महंगी दवा खरीदने में असमर्थ गरीब व्यक्ति दवा नहीं ले पाता। प्रधानमंत्री मोदी ने जन औषधि केंद्रों के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं कम कीमतों पर उपलब्ध कराईं हैं। चिकित्सकों को निर्देश दिया गया है कि वे रोगियों को जन औषधियों का सेवन करने की सलाह दें। प्रदेश के सभी जिलों और रेडक्रॉस शाखाओं में जन औषधि केंद्र संचालित हैं। जनजातीय क्षेत्रों में जनजातीय युवाओं द्वारा जन औषधि स्टोर खोले जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में आयुर्वेद चिकित्सा का एक नया युग शुरू हुआ है। आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए अपार संभावनाएं बनी हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने कार्यों से उपलब्धियों के बड़े मापदंड स्थापित करें और सफलता के नए कीर्तिमान बनाएं। लेकिन यह ध्यान रखें कि सफलता का पैमाना अपने ज्ञान, प्रतिभा और मेधा से समाज के विकास में योगदान और गरीबों, वंचितों एवं जरूरतमंदों के जीवन में खुशहाली लाने में होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि दीक्षांत, विद्यार्थी जीवन के समाप्त होने का नहीं, बल्कि कर्मशील नागरिक और उत्तरदायी व्यक्ति के रूप में नई शुरुआत का पावन अवसर है। शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री प्रदान करना नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों में संस्कार, चरित्र निर्माण, समाज कल्याण और राष्ट्र के विकास का बोध विकसित करना है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से युवाओं को ज्ञान और उन्नति के कई अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। छात्रों की शिक्षा केवल कौशल और विशेषज्ञता तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उद्यमिता के जरिए सामाजिक सरोकारों में भागीदारी के लिए अनुभव और मार्गदर्शन भी प्रदान करना चाहिए।
उन्होंने संस्थान के संस्थापक, ब्रह्मलीन कमलाकांत तिवारी, का भी पुण्य स्मरण किया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, आरोग्य भारती के राष्ट्रीय महासचिव अशोक वार्ष्णेय, ने कहा कि अलग ढंग से सोचने और बड़े लक्ष्यों के निर्माण में ही जीवन की सफलता है।