क्या महापरिनिर्वाण दिवस पर राष्ट्रपति मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी?
सारांश
Key Takeaways
- महापरिनिर्वाण दिवस डॉ. अंबेडकर की पुण्यतिथि है।
- प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मुर्मू ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
- अंबेडकर के विचार आज भी प्रेरणादायक हैं।
- बौद्ध धर्म और परिनिर्वाण का महत्व बताया गया।
- संविधान निर्माण में अंबेडकर का योगदान महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आज देश भारत रत्न डॉ. बीआर अंबेडकर की पुण्यतिथि महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। इसी क्रम में पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुर्मू ने भी अपनी श्रद्धांजलि दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट के माध्यम से कहा कि महापरिनिर्वाण दिवस पर वे डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर को याद करते हैं। उनकी दूरदर्शिता, न्याय और समानता के प्रति उनकी अडिग प्रतिबद्धता और संवैधानिक मूल्यों ने भारत के विकास को दिशा दी है।
एक्स पोस्ट में उन्होंने बताया कि अंबेडकर ने पीढ़ियों को मानव गरिमा और लोकतांत्रिक आदर्शों को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि बाबासाहेब के आदर्श हमारे लिए विकसित भारत के निर्माण में मार्गदर्शन करते रहें।
वहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली स्थित संसद भवन में डॉ. बीआर अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति भवन के आधिकारिक 'एक्स' अकाउंट से जानकारी दी गई कि राष्ट्रपति ने श्रद्धा और सम्मान के साथ बाबासाहेब को नमन किया।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि अंबेडकर की शिक्षाएं और उनका संघर्ष भारत को एक न्यायपूर्ण और समानता-आधारित समाज बनाने की दिशा में आज भी हमारा मार्गदर्शन करते हैं।
हर वर्ष 6 दिसंबर को यह दिन संविधान निर्माता, सामाजिक न्याय के अग्रदूत और आधुनिक भारत के महान विचारक डॉ. अंबेडकर को याद करने के लिए मनाया जाता है।
बता दें कि डॉ. अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ था। इसी दिन को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1956 में ही बाबासाहेब ने हिंदू धर्म की कुरीतियों और सामाजिक असमानताओं से दुखी होकर बौद्ध धर्म अपनाया था।
बौद्ध दर्शन के अनुसार परिनिर्वाण का अर्थ है मृत्यु के बाद पूर्ण मुक्ति, अर्थात सभी इच्छाओं, मोह-माया और सांसारिक बंधनों से पूरी तरह मुक्त होना। यह सर्वोच्च अवस्था बहुत कठिन मानी जाती है और सदाचार व अनुशासित जीवन से ही प्राप्त होती है।