क्या मणिपुर में भाजपा विधायक और एनपीपी नेता दिल्ली रवाना हुए हैं?

सारांश
Key Takeaways
- राजनीतिक हलचल: मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के दौरान राजनीतिक गतिविधियाँ बढ़ गई हैं।
- भाजपा विधायक: 30 विधायक दिल्ली में चर्चा के लिए गए हैं।
- लोकप्रिय सरकार: विधायक केंद्रीय नेतृत्व से लोकप्रिय सरकार बनाने की मांग कर रहे हैं।
- जातीय हिंसा: मई 2023 से जारी जातीय हिंसा के बाद राज्य की स्थिति अस्थिर है।
- नई सरकार: राज्य में शांति और विकास के लिए नई सरकार की आवश्यकता है।
इंफाल, 5 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के बीच राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। भाजपा के लगभग 30 विधायक और उनके सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के नेता राज्य की बदलती राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करने के लिए दिल्ली रवाना हो गए।
पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व में भाजपा सरकार के गिरने के बाद से फरवरी से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है, जिसकी अवधि हाल ही में बढ़ाई गई है। विधायकों का यह दौरा केंद्रीय नेतृत्व से लोकप्रिय सरकार गठन की मांग को मजबूती प्रदान करने का प्रयास माना जा रहा है।
भाजपा प्रवक्ता एवं विधायक इबोमचा ने बताया कि सभी 30 भाजपा विधायक केंद्रीय नेताओं से मिलकर राज्य के घटनाक्रम पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा, "मैं यह नहीं कह सकता कि आने वाले सप्ताह में नई सरकार बनेगी या नहीं, लेकिन हम इस मुद्दे पर विस्तार से बात करेंगे।"
इस दौरे में विधानसभा अध्यक्ष थोकचोम सत्यब्रत सिंह, विधायक कोंगखम रॉबिन्द्रो सिंह, पूर्व मंत्री युमनाम खेमचंद सिंह, थुनाओजम श्यामकुमार सिंह, खुमुकचम जॉयकिशन सिंह, करम श्याम, उषाम देबेन, लौरेम्बम रामेश्वर और एनपीपी विधायक नूरुल हुसैन शामिल हैं। पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और अन्य विधायक पहले ही दिल्ली पहुंच चुके थे।
एनपीपी विधायक दल के नेता नूरुल हुसैन ने कहा, "राज्य के लोगों की आकांक्षा एक लोकप्रिय और समावेशी सरकार की है।"
राज्यपाल अजय कुमार भल्ला पहले से दिल्ली में हैं और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिल चुके हैं। वरिष्ठ अधिकारी जैसे मुख्य सचिव पूनित कुमार गोयल भी दिल्ली रवाना हो गए हैं। भाजपा विधायक खुमुकचम जॉयकिशन ने कहा कि राज्य में शांति और विकास के लिए नई सरकार आवश्यक है।
बता दें कि यह दौरा मई 2023 से जारी जातीय हिंसा के बाद राज्य की अस्थिरता को समाप्त करने का प्रयास है, जिसमें 250 से अधिक मौतें हो चुकी हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं। राष्ट्रपति शासन 13 फरवरी 2025 से लागू है, जब बीरेन सिंह ने इस्तीफा दिया था।