क्या मायावती ने 'ट्रंप टैरिफ' पर चिंता व्यक्त की है, कांशीराम की पुण्यतिथि पर दिखाएगी ताकत?

सारांश
Key Takeaways
- ट्रंप टैरिफ की चुनौतियों पर चर्चा
- सत्ता में सुधारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता
- कांशीराम की पुण्यतिथि का भव्य आयोजन
- दलितों और पिछड़ों के अधिकारों की सुरक्षा
- धार्मिक स्थलों का सम्मान
लखनऊ, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने रविवार को लखनऊ में आयोजित राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में संगठन को मजबूत करने और जनाधार को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया। इस अवसर पर उन्होंने अमेरिका के 'ट्रंप टैरिफ' से उत्पन्न नई चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि इनसे निपटने के लिए ठोस और प्रभावशाली सुधारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
मायावती ने कहा कि ट्रंप के टैरिफ के प्रभावों का सामना करने के लिए विशेष रूप से सत्ताधारी पार्टी भाजपा को व्यापक जनहित और देशहित का ध्यान रखते हुए अपनी नीतियों और कार्यक्रमों में ठोस सुधारात्मक दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए। अन्यथा, देश के विशाल बहुजन समुदाय की समस्याएं जैसे गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, अशिक्षा और पलायन और भी जटिल हो जाएंगी, जिससे देश का मान-सम्मान भी प्रभावित होगा।
बसपा प्रमुख मायावती ने आगामी 9 अक्टूबर को पार्टी संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि को राजधानी लखनऊ के 'मान्यवर कांशीराम स्मारक स्थल' पर ऐतिहासिक रूप से मनाने का ऐलान किया। इस अवसर पर वह स्वयं उपस्थित रहकर कार्यक्रम का नेतृत्व करेंगी और आगे की राजनीतिक रणनीति पर चर्चा करेंगी। लंबे समय बाद स्मारक के जीर्णोद्धार के बाद यहां बड़ा आयोजन हो रहा है।
मायावती ने यह भी आरोप लगाया कि विरोधी दल मिलकर बसपा को कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों को संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है। बसपा की सरकारों में सभी वर्गों को समान अवसर और विकास मिला था, जिसे अब रोकने का प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में धार्मिक स्थलों का अपमान करने की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह समाज में नफरत फैलाने की साजिश है। सरकारों को संकीर्ण और सांप्रदायिक राजनीति को छोड़कर ऐसे आपराधिक तत्वों पर सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि देश में अमन-चैन बना रह सके।