क्या मीनाक्षी देवी मंदिर है तमिलनाडू का भव्यतम धार्मिक स्थल?

सारांश
Key Takeaways
- मीनाक्षी देवी मंदिर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है।
- मंदिर की अनोखी प्रतिमा में तीन वक्षस्थल हैं।
- यह मंदिर संतान प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध है।
- मंदिर में मां मीनाक्षी और भगवान शिव का विवाह हुआ था।
- दीपावली पर मंदिर का भव्य समारोह होता है।
नई दिल्ली, १२ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में चमत्कारी मंदिरों की कोई कमी नहीं है। हर क्षेत्र में देवी-देवताओं के सिद्ध पीठ और शक्तिपीठ विद्यमान हैं। तमिलनाडु के मदुरई में स्थित एक ऐतिहासिक मंदिर है, जहां मां पार्वती एक अद्वितीय रूप में विराजमान हैं।
दीपावली के अवसर पर, यह मंदिर फूलों और रोशनी से सजाया जाता है और मां पार्वती को हीरे का मुकुट पहनाया जाता है।
यह मीनाक्षी देवी मंदिर विश्व भर में धार्मिक आस्था का केंद्र है। इसे ७ अजूबों की सूची में भी शामिल किया गया है। यहां मां पार्वती को मीनाक्षी देवी के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर की विशेषता है मां की प्रतिमा, जिसमें सामान्य दो नहीं, बल्कि तीन वक्षस्थल हैं। भक्त अपनी मनोकामनाओं के साथ देश-विदेश से यहां आते हैं। यह मंदिर संतान प्राप्ति के लिए भी प्रसिद्ध है, क्योंकि मां मीनाक्षी को उनके माता-पिता ने कठिन तपस्या के बाद प्राप्त किया था।
२५०० साल पुराना यह मंदिर कई पौराणिक कथाओं से भरा हुआ है। कहा जाता है कि मदुरै के राजा मलयध्वज पांड्या और उनकी पत्नी संतानहीन थे। संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने भगवान शिव की आराधना की, जिसके फलस्वरूप उन्हें पुत्री के रूप में मीनाक्षी मिली। मीनाक्षी सामान्य नहीं थी, वे अपनी उम्र से अधिक परिपक्व थीं और उनके तीन वक्षस्थल थे। उनके पिता को चिंता थी कि उनकी बेटी का विवाह कौन करेगा, लेकिन भगवान शिव ने उन्हें सपने में बताया कि मीनाक्षी का वक्षस्थल उसके पति के मिलने के बाद गायब हो जाएगा। मीनाक्षी को भगवान शिव के अवतार सुंदरेश्वर देव से विवाह हुआ। माना जाता है कि इसी मंदिर में उनका कन्यादान भी हुआ।
मंदिर में मां मीनाक्षी के साथ सुंदरेश्वर देव भी उपस्थित हैं। इसमें एक गर्भगृह भी है। मान्यता है कि रात में जब मंदिर के दरवाजे बंद होते हैं, तब मां मीनाक्षी और सुंदरेश्वर देव वहां विचरण करते हैं। इस समय मंदिर में कोई नहीं जाता है। मीनाक्षी देवी मंदिर में भगवान गणेश और भगवान विष्णु की मूर्तियां भी हैं। भगवान विष्णु की पूजा मां मीनाक्षी के भाई के रूप में की जाती है। भगवान विष्णु ने हर अवतार में मां पार्वती का कन्यादान किया है। शिव-पार्वती विवाह में भी भगवान विष्णु ने भाई का कर्तव्य निभाया था। इसके अतिरिक्त, मंदिर में भव्य गोपुरम और '१००० स्तंभों का मंडप' भी है।