क्या देश के कुल निर्यात में एमएसएमई की हिस्सेदारी बढ़कर 48.55 प्रतिशत हुई?

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क्या देश के कुल निर्यात में एमएसएमई की हिस्सेदारी बढ़कर 48.55 प्रतिशत हुई?

सारांश

केंद्र सरकार ने संसद में बताया कि एमएसएमई क्षेत्रों की निर्यात में हिस्सेदारी बढ़कर 48.55% हो गई है। यह वृद्धि सरकार की नई नीतियों और सुधारों का परिणाम है, जिससे छोटे व्यवसायों को लाभ होगा। जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी और इसका अर्थ आपके लिए क्या है।

Key Takeaways

  • कुल निर्यात में एमएसएमई की हिस्सेदारी बढ़कर 48.55% हुई।
  • सरकार ने निर्यात संवर्धन मिशन को मंजूरी दी है।
  • जीएसटी सुधारों ने एमएसएमई को लाभ पहुंचाया है।
  • ऋण गारंटी योजना के तहत 20,000 करोड़ रुपए तक की अतिरिक्त सुविधाएं।
  • क्लस्टर विकास के माध्यम से एमएसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना।

नई दिल्ली, 8 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद में स्पष्ट किया कि देश के कुल निर्यात में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़कर 48.55 प्रतिशत हो गई है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में यह 45.74 प्रतिशत थी।

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने एक लिखित उत्तर में बताया, "सरकार ने एमएसएमई सहित अन्य क्षेत्रों में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यात संवर्धन मिशन (ईपीएम) को मंजूरी दी है। इसके तहत, निर्यात प्रोत्साहन के माध्यम से सहायता दी जाएगी, जो कि एमएसएमई निर्यातकों के लिए व्यापार वित्त सुविधा पर केंद्रित होगी।"

आगे उन्होंने बताया, "इस योजना के तहत, सरकार निर्यात दिशा, निर्यात-गुणवत्ता और अनुपालन सहायता, बाजार-पहुंच हस्तक्षेप, लॉजिस्टिक सुविधा और निर्यात प्रणाली निर्माण के उपायों सहित गैर-वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।"

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हाल ही में लागू किए गए जीएसटी सुधारों से एमएसएमई को मजबूती मिलेगी। कम जीएसटी दरों ने कच्चे माल और सेवाओं को अधिक किफायती बना दिया है, जिससे छोटे और मध्यम उद्यमों और स्टार्ट-अप्स को परिचालन बढ़ाने, नवाचार में निवेश करने और प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रेरणा मिली है।

केंद्रीय मंत्री के अनुसार, सरकार ने वैश्विक मूल्य श्रृंखला में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी), ऋण गारंटी योजना (सीजीएसई) और सूक्ष्म एवं लघु उद्यम- क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी) शामिल हैं।

पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान से मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स के लिए व्यापक योजना संभव हुई है।

राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी) का उद्देश्य लागत प्रभावी लॉजिस्टिक्स नेटवर्क के माध्यम से देश की आर्थिक वृद्धि और व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है।

निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना (सीजीएसई) के अंतर्गत राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) द्वारा सदस्य ऋणदाता संस्थानों (एमएलआई) को शत-प्रतिशत ऋण गारंटी कवरेज प्रदान किया जाएगा, जिससे एमएसएमई सहित पात्र निर्यातकों को 20,000 करोड़ रुपए तक की अतिरिक्त ऋण सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी।

सूक्ष्म एवं लघु उद्यम- क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी) योजना का क्रियान्वयन एमएसई की उत्पादकता और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया है। इसके तहत मौजूदा क्लस्टरों में सामान्य सुविधा केंद्र (सीएफसी) स्थापित करने और नए/मौजूदा औद्योगिक एस्टेटों/क्षेत्रों/फ्लैट फैक्ट्री परिसरों में अवसंरचना सुविधाओं की स्थापना/उन्नयन के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।

Point of View

बल्कि यह देश की आर्थिक स्थिति को भी दर्शाता है। जब छोटे व्यवसाय मजबूत होते हैं, तो यह समग्र विकास में योगदान करते हैं। सरकार की नीतियों से निर्यात में वृद्धि और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने का प्रयास सराहनीय है।
NationPress
09/12/2025

Frequently Asked Questions

एमएसएमई का क्या महत्व है?
एमएसएमई देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, रोजगार सृजन और निर्यात में योगदान करते हैं।
क्या सरकार ने एमएसएमई के लिए कोई नई योजनाएं शुरू की हैं?
जी हां, सरकार ने निर्यात संवर्धन मिशन और अन्य योजनाएं शुरू की हैं जो एमएसएमई को सहायता प्रदान करती हैं।
जीएसटी सुधारों का एमएसएमई पर क्या प्रभाव पड़ा है?
कम जीएसटी दरों ने कच्चे माल और सेवाओं को सस्ता किया है, जिससे एमएसएमई का संचालन आसान हुआ है।
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