क्या मुंबई क्राइम ब्रांच ने ई-सिगरेट की तस्करी में सफलता पाई?

सारांश
Key Takeaways
- ई-सिगरेट की तस्करी से युवाओं की सेहत पर खतरा है।
- क्राइम ब्रांच की कार्रवाई महत्वपूर्ण है।
- तस्करी नेटवर्क का खुलासा होना आवश्यक है।
- कानून प्रवर्तन agencies की सजगता जरूरी है।
- युवाओं को सुरक्षित रखने के लिए जागरूकता फैलाना होगा।
मुंबई, 28 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। देश में युवा वर्ग के बीच ई-सिगरेट के बढ़ते चलन पर नियंत्रण लगाने के लिए मुंबई क्राइम ब्रांच यूनिट-2 ने एक महत्वपूर्ण कार्रवाई की है। क्राइम ब्रांच ने चीन से तस्करी कर लाई गई ई-सिगरेट की खेप को जब्त किया है, जिसकी कीमत लगभग 32 लाख रुपए है। इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जिसकी पहचान रवींद्र किशोर डेडिया के रूप में हुई है।
क्राइम ब्रांच के अधिकारियों का कहना है कि जब्त की गई ई-सिगरेट डिजिटल फॉर्मेट की हैं, और एक यूनिट से 200 से 250 पफ्स लिए जा सकते हैं। भारत में इनकी कीमत करीब 2 हजार रुपए प्रति यूनिट है, जबकि चीन में ये केवल 500 रुपए में मिलती हैं। भारी मुनाफे के चलते आरोपी ने लॉकडाउन के दौरान इस तस्करी का धंधा शुरू किया।
कस्टम विभाग की सख्ती को देखते हुए आरोपी ने माल लाने के लिए समुद्री मार्ग का चयन किया। पकड़ी गई खेप को दक्षिण मुंबई के मॉल इलाकों और पुणे जैसे बड़े शैक्षणिक केंद्रों में बेचे जाने की योजना थी। आरोपी युवाओं तक इन ई-सिगरेट्स को पहुंचाने के लिए एजेंट्स का सहारा लेता था।
ई-सिगरेट का उपयोग खासकर किशोरों और कॉलेज जाने वाले युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है। इसे नशे का एक कूल और फैशनेबल तरीका माना जाने लगा है। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, ई-सिगरेट का सेवन फेफड़ों की गंभीर बीमारियों, सांस लेने में कठिनाई और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। चिंताजनक यह है कि कई नाबालिग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।
क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने बताया कि आरोपी से पूछताछ जारी है और इस तस्करी नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है। पुलिस का मानना है कि यह गिरोह बड़े पैमाने पर युवाओं को लक्षित कर ई-सिगरेट की अवैध सप्लाई कर रहा था।