क्या 'नागपुर-इटारसी चौथी रेल लाइन परियोजना' से यातायात की क्षमता और गति बढ़ेगी?

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क्या 'नागपुर-इटारसी चौथी रेल लाइन परियोजना' से यातायात की क्षमता और गति बढ़ेगी?

सारांश

नागपुर-इटारसी चौथी रेल लाइन परियोजना से यातायात की गति और क्षमता में वृद्धि की उम्मीद है। इससे यात्रा अधिक सुगम और त्वरित होगी, जिससे आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। क्या यह परियोजना वास्तव में लाभकारी साबित होगी? जानिए इसके बारे में विस्तार से।

Key Takeaways

  • नागपुर-इटारसी चौथी रेल लाइन से यातायात क्षमता में वृद्धि होगी।
  • यह परियोजना ५,४५१ करोड़ रुपए की लागत से लागू होगी।
  • इसमें ३७ स्टेशन, ३६ बड़े पुल और कई अन्य संरचनाएं शामिल हैं।
  • परियोजना से १० मिलियन टन अतिरिक्त माल का परिवहन संभव होगा।
  • इससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

मुंबई, १ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गुरुवार को नागपुर और इटारसी के बीच चौथी रेल लाइन परियोजना को मंजूरी दी है। यह परियोजना दिल्ली-चेन्नई हाई डेंसिटी नेटवर्क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसकी लागत ५,४५१ करोड़ रुपए है। मध्य रेलवे के सीपीआरओ स्वप्निल नीला ने शुक्रवार को इस परियोजना की सराहना करते हुए कहा कि इससे यातायात की क्षमता और गति में वृद्धि होगी।

स्वप्निल नीला ने राष्ट्र प्रेस को बताया, "नागपुर-इटारसी खंड वर्तमान में अत्यधिक भीड़भाड़ वाला है और यह दिल्ली-चेन्नई हाई डेंसिटी नेटवर्क का एक हिस्सा है। ५,४५१ करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से लगभग २९७ किलोमीटर लंबी चौथी लाइन को मंजूरी मिलने से विशेष रूप से मुंबई-हावड़ा हाई डेंसिटी नेटवर्क के बीच यातायात की गति और क्षमता में वृद्धि होगी। इस रेल लाइन में ३७ स्टेशन शामिल हैं, जिनमें ३६ बड़े पुल, ४१५ छोटे पुल, २ रोड ओवर ब्रिज, ७४ रोड अंडर ब्रिज, ४ टनल और २ रेल ओवर ब्रिज शामिल हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "देश भर में लगभग १४४ वंदे भारत ट्रेनों के शुभारंभ के साथ, भारतीय रेलवे विशेषकर मध्य रेलवे जोन में बुनियादी ढांचे को बेहतर बना रहा है।"

उन्होंने यह भी बताया कि यह रेलकलाइन महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के दो राज्यों को जोड़ती है, जिससे नागपुर और मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम, बैतूल और पांढुर्ना जिलों को लाभ होगा। नागपुर में मुंबई-हावड़ा हाई डेंसिटी नेटवर्क से जुड़ने से यह यात्री और माल यातायात की तेज और कुशल आवाजाही को सक्षम करेगा, १० मिलियन टन अतिरिक्त माल के परिवहन की सुविधा प्रदान करेगा और रसद लागत में १,२०६ करोड़ रुपए की बचत करेगा।

इससे महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर (मध्य प्रदेश), श्रीशैलम (आंध्र प्रदेश) और रामेश्वरम (तमिलनाडु) जैसे पर्यटन स्थलों पर भी उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। इससे बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को लाभ होगा।

उल्लेखनीय है कि रेल मंत्रालय ने चार परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनमें नागपुर-इटारसी चौथी लाइन, औरंगाबाद-परभणी दोहरीकरण, अलुआबारी रोड-न्यू जलपाईगुड़ी तीसरी और चौथी लाइन तथा डांगोवापोसी-जरोली तीसरी और चौथी रेल लाइन शामिल हैं, जिनकी कुल लागत लगभग ११,१६९ करोड़ रुपए है।

ये परियोजनाएं पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत बनाई गई हैं, जिसका उद्देश्य एकीकृत योजना और हितधारकों के परामर्श के माध्यम से मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक दक्षता को बढ़ाना है। ये परियोजनाएं यात्रियों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी। रेलवे एक पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन साधन होने के नाते जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने, देश की रसद लागत को कम करने, तेल आयात को घटाने और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगा।

Point of View

बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी। यह परियोजना दो राज्यों के विकास को जोड़ने का कार्य करेगी, जिससे समग्र राष्ट्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा।
NationPress
26/12/2025

Frequently Asked Questions

नागपुर-इटारसी चौथी रेल लाइन परियोजना की लागत क्या है?
इस परियोजना की लागत लगभग ५,४५१ करोड़ रुपए है।
इस रेल लाइन से कितने स्टेशनों को लाभ होगा?
इस रेल लाइन में ३७ स्टेशन शामिल हैं।
क्या इस परियोजना से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा?
हाँ, यह परियोजना कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने और ऊर्जा कुशल परिवहन साधन को बढ़ावा देने में मदद करेगी।
नागपुर-इटारसी रेल लाइन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसका मुख्य उद्देश्य यातायात की गति और क्षमता को बढ़ाना है।
इस परियोजना से किन राज्यों को लाभ होगा?
यह परियोजना महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के दो राज्यों को जोड़ती है।
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