क्या बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय ने भारत और रूस की संस्थाओं के साथ नए सहयोग की दिशा में कदम बढ़ाया?

सारांश
Key Takeaways
- नालंदा विश्वविद्यालय ने भारत और रूस के साथ महत्वपूर्ण सहयोग स्थापित किया।
- समझौतों का उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा का संरक्षण है।
- विश्वविद्यालय वैश्विक सभ्यताओं के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी का काम कर रहा है।
राजगीर, 19 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने और वैश्विक सभ्यताओं के बीच संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। कुलपति प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी के नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने इस सप्ताह दो महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
जानकारी के अनुसार, पहला समझौता मुंबई में ज्योत और गीतार्थ गंगा आध्यात्मिक अनुसंधान संस्थानों के साथ हुआ, जबकि दूसरा रूस के काल्मिक स्टेट यूनिवर्सिटी के साथ किया गया। ज्योत और गीतार्थ गंगा के साथ हुए समझौते का मुख्य उद्देश्य प्राचीन जैन पांडुलिपियों और अन्य अमूल्य भारतीय साहित्य का संकलन, संरक्षण और प्रकाशन को बढ़ावा देना है।
यह एमओयू साइनिंग कार्यक्रम पंडित महाराज साहेब युगभूषणसूरी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत की उपस्थिति में संपन्न हुआ। इस अवसर पर नालंदा विश्वविद्यालय की तरफ से प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी, गीतार्थ गंगा की तरफ से ट्रस्टी निशित जावेरी और ज्योत की तरफ से ट्रस्टी डॉ. भास्कर शाह ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।
नालंदा विश्वविद्यालय आने वाले ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ कॉन्क्लेव में एक ‘नॉलेज पार्टनर’ के रूप में भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेगा। इससे पहले, विश्वविद्यालय ने शुक्रवार को रूस की काल्मिक स्टेट यूनिवर्सिटी के साथ भी एक महत्वपूर्ण एमओयू पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य बौद्ध अध्ययन, ओरिएंटल भाषाओं और सांस्कृतिक अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाना है।
हाइब्रिड मोड में हुए इस कार्यक्रम में नालंदा विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व कुलपति प्रोफेसर चतुर्वेदी ने किया और साथ ही, काल्मिक स्टेट यूनिवर्सिटी के रेक्टर प्रो. बद्मा कातिनोविच सालाएव, भारतीय दूतावास से निखिलेश चंद्र गिरी और विनय कुमार सहित दोनों संस्थानों के विशेषज्ञ भी उपस्थित रहे।
विश्वविद्यालय के कुलपति सचिन चतुर्वेदी का मानना है कि इन दोनों समझौतों ने नालंदा विश्वविद्यालय की यात्रा में एक नई ऊर्जा और दिशा जोड़ी है। नालंदा इन साझेदारियों के माध्यम से आपसी शैक्षणिक सहयोग को बढ़ाने के साथ-साथ वैश्विक संस्कृतियों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी का भी काम कर रहा है।