क्या यूरोपीय संघ की अनुपस्थिति से नेतन्याहू भड़के? आतंकवाद के आगे झुका यूरोप!

सारांश
Key Takeaways
- नेतन्याहू ने यूरोपीय संघ की अनुपस्थिति की आलोचना की।
- हमास ने बंधकों की अदला-बदली के लिए शर्तें रखी हैं।
- गाजा संघर्ष को समाप्त करने के प्रयास जारी हैं।
- यूरोप आतंकवाद के आगे झुकने का आरोप।
- शांति के लिए ताकत की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। इजरायल पर हुए कायरतापूर्ण हमले को आज दो साल हो गए हैं। इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए मिस्र में दोनों पक्षों के बीच संवाद हुआ, जिसमें हमास ने बंधकों और कैदियों की अदला-बदली के लिए कुछ शर्तें रखी हैं। दूसरी ओर, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सीजफायर योजना में यूरोपीय संघ की अनुपस्थिति की कड़ी निंदा की।
हमास और इजरायल के प्रतिनिधियों ने मिस्र में सोमवार को एक बैठक की। हमास ने शर्त रखी है कि इजरायली सेना को जनवरी में हुए सीजफायर समझौते के अनुसार गाजा के जनसंख्या वाले क्षेत्रों से हटकर अपने पूर्व ठिकानों पर लौटना होगा।
इसके अतिरिक्त, इजरायली वायुसेना द्वारा प्रतिदिन कम से कम 10 घंटे तक लड़ाकू विमानों और ड्रोन की उड़ानों पर रोक लगाई जानी चाहिए। हमास ने यह भी मांग की है कि बंदियों की रिहाई के दिन 12 घंटे तक कोई ड्रोन या विमान न उड़ाया जाए।
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने आरोप लगाया कि गाजा में संघर्ष समाप्त करने की प्रक्रियाओं में यूरोपीय संघ पूरी तरह से अनुपस्थित है। उन्होंने विदेशी मीडिया से बातचीत में कहा कि यूरोप मूलतः फिलिस्तीनी आतंकवाद और कट्टरपंथी इस्लामिक अल्पसंख्यकों के आगे झुक गया है।
नेतन्याहू ने कहा, "यूरोप अप्रासंगिक हो गया है और उसने गंभीर कमजोरी दिखाई है। जिन्हें यह करना चाहिए था, वे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप कर रहे हैं, जिससे उन आतंकवादी तत्वों का सफाया होगा।"
उन्होंने यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों में से 15 द्वारा फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने के निर्णय की आलोचना की और इस पर पुनर्विचार की उम्मीद जताई।
नेतन्याहू ने कहा, "कल्पना कीजिए कि 9/11 के बाद लोग कहेंगे, ठीक है, अब (इस्लामी आतंकवादी नेता ओसामा) बिन लादेन और अल-कायदा को राज्य दे दिया जाए। हम न केवल उन्हें एक राज्य देंगे, बल्कि वह न्यूयॉर्क से एक मील दूर होगा, जैसा कि वे सुझा रहे हैं।" उन्होंने कहा कि इससे शांति को बढ़ावा नहीं मिलेगा। पहले आपके पास ताकत होगी, फिर आपके पास शांति होगी।
उन्होंने कहा, "अब ये यूरोपीय नेता क्या कह रहे हैं? आइए इजरायल को इस हद तक कमजोर कर दें कि वह अपने अस्तित्व के लिए एक और फिलिस्तीनी राज्य के खिलाफ लड़े। इस बार यरुशलम के बाहरी इलाके में नहीं, बल्कि यरुशलम के भीतर और तेल अवीव की पहाड़ियों के ठीक ऊपर। यह बेतुका है।"